लोकसभा चुनाव : 'द केरल स्टोरी' के समर्थन में खुलकर उतरा चर्च, बढ़ गई कांग्रेस-CPM की टेंशन !
केरल के चर्चों में अब द केरल स्टोरी को लेकर बवाल छिड़ गया है। केरल के चर्चों ने फिल्म 'द केरल स्टोरी' को दिखाए जाने का दायरा बढ़ा दिया है। केरल कैथोलिक यूथ मूवमेंट (KCYM) ने अपनी सभी यूनिट में इस फिल्म को दिखाए जाने की घोषणा की है। केसीवाईएम का कहना है कि इस फिल्म को दिखाने के पीछे उसका कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है। लेकिन सत्ताधारी एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ को ये दलील हजम नहीं हो पा रही है।
केरल बीजेपी चर्च के इस फैसले से काफी उत्साहित है। उसने 'लव जिहाद' जैसे मुद्दों को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया हुआ है। यही वजह है कि कांग्रेस की अगुवाई वाला यूडीएफ और सीपीएम की अगुवाई वाला एलडीएफ चर्चों में चुनावों के दौरान यह फिल्म दिखाए जाने से काफी परेशान हैं।
चर्च के फैसले से भाजपा उत्साहित
भाजपा की खुशी की वजह ये है कि वह ईसाई समुदाय को जोड़ने के लिए जो एक मुद्दे उठाती रही है, उसमें से एक प्रमुख मसले को कुछ चर्चों ने स्वीकार कर लिया है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने यह कहकर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की आलोचना की है कि 'यह जानते हुए कि फिल्म सही घटनाओं पर आधारित है, सीएम सच्चाई दबाने की कोशिश कर रहे हैं।'
सीपीएम फिल्म को बता रही है संघ का एजेंडा
वहीं मुख्यमंत्री विजयन का दावा है कि फिल्म में 'आरएसएस का एजेंडा' परोसा गया है। उन्होंने कहा, 'यह नहीं समझना चाहिए कि संघ परिवार सिर्फ मुसलमानों को टारगेट कर रहा है। उनकी नजर सभी अल्पसंख्यकों और समुदायों पर है। एक समूह को दूसरे समूह के खिलाफ भड़काना लक्ष्य है। इस रणनीति के चक्कर में किसी को नहीं फंसना चाहिए।'
सिरो-मालाबार कैथोलिक चर्च के इडुक्की डायोसीज की ओर से विवादास्पद फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ के प्रदर्शन के बाद एर्नाकुलम-अंगामाली डायोसीज के तहत एक चर्च ने बुधवार (10 अप्रैल) को उसकी अवकाशकालीन धार्मिक शिक्षा कक्षाओं में भाग लेने वाले छात्रों को मणिपुर हिंसा पर एक डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई है।
दूरदर्शन पर द केरल स्टोरी के टेलीकास्ट के बीच चर्च की ओर से ऐसी ही एक स्टोरी के प्रदर्शन को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, मणिपुर में हिंसा पर बनी डॉक्यूमेंट्री ‘क्राई ऑफ द ऑप्रेस्ड’ को प्रभावशाली सिरो मालाबार कैथोलिक चर्च के तहत संजोपुरम सेंट जोसेफ चर्च में लगभग 125 छात्रों के लिए प्रदर्शित की गई। चर्च के पादरी फादर जेम्स पानावेलिल ने कहा कि ‘द केरल स्टोरी’ एक दुष्प्रचार के लिये बनाई गई फिल्म है और इसे चर्च की ओर से प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए।
पादरी ने कहा- मणिपुर हिंसा को नहीं भूलना है
पादरी ने कहा, “मेरा विचार था कि ऐसी प्रचार फिल्म बच्चों की कक्षा में नहीं होनी चाहिए। अगर हम ऐसा करेंगे तो हम भी उस दुष्प्रचार का हिस्सा बन जायेंगे, तो उस विवाद से दूर रहने और मणिपुर में हुई हिंसा को न भूलने का संदेश देने के लिए 15 मिनट लंबी डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई ।”
फादर पनावेलिल ने आगे कहा कि मणिपुर में जो हुई वह कोई अतिशयोक्ति या झूठ या ऐसा कुछ नहीं था जो हुआ ही नहीं। उन्होंने कहा, “यह कुछ ऐसा था जो घटित हुआ और स्वयं चर्च नेतृत्व ने इसकी निंदा की तो डॉक्यूमेंट्री दिखाने में गलत क्या है? साथ ही, हम जानते हैं कि ‘द केरल स्टोरी’ को दिखाने की आवश्यकता नहीं थी।”
'लोकसभा चुनाव के दौरान डॉक्यूमेंट्री टेलिकॉस्ट ठीक नहीं'
पादरी ने ‘द केरल स्टोरी’ का जिक्र करते हुए कहा, “जहां तक मेरा सवाल है, चर्च को दुष्प्रचार फिल्म का हिस्सा नहीं बनना चाहिए, खासकर चुनाव के दौरान।” एक टीवी चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ‘द केरल स्टोरी’,” ‘द कश्मीर फाइल्स’ की तरह संघ परिवार का एक सुनियोजित एजेंडा या दुष्प्रचार थी और आम लोग यह जानते हैं।