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Current News / के.के. पटेल सुपर स्पेश्यालिटी अस्पताल लोकार्पण समाहरो के मौके पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

clean-udaipur के.के. पटेल सुपर स्पेश्यालिटी अस्पताल लोकार्पण समाहरो के मौके पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ
DINESH BHATT April 16, 2022 12:07 PM IST

 

नमस्कार

आप सभी को मेरा जय स्वामीनारायण | मेरे कच्छी भाई बहेनो कैसे हो? मजे में? आज के.के. पटेल सुपर स्पेश्यालिटी अस्पताल का हमारी सेवा में लोकार्पण हो रहा है |
आप सभी को मेरी बहुत बहुत शुभकामनाएँ |

गुजरात के लोकप्रिय मृदु एवं मक्‍कम हमारे मुख्‍यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल, महंत स्‍वामी पूज्‍य धर्मनंदन दास जी, केंदीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मनसुख मांडविया जी, गुजरात विधानसभा अध्‍यक्ष नीमाबेन आचार्य, गुजरात सरकार के अन्‍य मंत्रीगण, संसद में मेरे साथी श्री विनोद छाबड़ा, अन्‍य जन-प्रतिनिधिगण, वहां उपस्थित श्रद्धेया संतगण, कछीय लेवा पटेल एजुकेशन और मेडिकल ट्रस्‍ट के चेयरमैन गोपालभाई गोरछिया जी, अन्‍य सभी ट्रस्‍टी, समाज के प्रमुख साथी, देश और दुनिया से आस सभी दानी सज्‍जन महानुभाव, चिकित्‍सक गण और सभी सेवारत और कर्मचारीऔर कच्‍छ के मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों।

आरोग्‍य से जुड़े इतने बड़े कार्यक्रम के लिए कच्‍छवासियों को बहुत-बहुत बधाई। गुजरात को भी बधाई। भूकंप से मची तबाही को पीछे छोड़कर भुज और कच्‍छ के लोग अब अपने परिश्रम से इस क्षेत्र का नया भाग्‍य लिख रहे हैं। आज इस क्षेत्र में अनेक आधुनिक मेडिकल सेवाएं मौजूद हैं। इसी कड़ी में भुज को आज एक आधुनिक सुपर स्‍पेशियलिटी अस्‍पताल मिल रहा है। ये कच्‍छ का पहला चैरिटेबल सुपर स्‍पेशियलिटी अस्‍पताल है। इस आधुनिक स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा के लिए कच्‍छ को बहुत-बहुत बधाई। 200 बेड का ये सुपर स्‍पेशियलिटी अस्‍पताल कच्‍छ के लाखों लोगों को सस्‍ती और बेहतरीन इलाज की सुविधा देने वाला है। यह हमारे सैनिकों और अर्द्धसैनिक बलों के परिवारों और व्‍यापार जगत के अनेक लोगों के लिए भी उत्‍तम इलाज की गारंटी बनकर सामने आने वाला है। 

साथियो, 

बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं सिर्फ बीमारी के इलाज तक ही सीमित नहीं होतीं। ये सामाजिक न्‍याय को प्रोत्‍साहित करती हैं, प्रतिष्ठित करती हैं। जब किसी गरीब को सस्‍ता और उत्‍तम इलाज सुलभ होता है तो उसका व्‍यवस्‍था पर भरोसा मजबूत होता है। इलाज के खर्च की चिंता से गरीब को मुक्ति मिलती है तो वो निश्चिंत होकर गरीबी से बाहर निकलने के लिए परिश्रम करता है। बीते सालों में हेल्‍थ सेक्‍टर की जितनी भी योजनाएं लागू की गईं उनकी प्रेरणा यही सोच है। आयुष्‍मान भारत योजना और जन-औ‍षिधि योजना से हर साल गरीब और मिडिल क्‍लास परिवारों के लाखों करोड़ रुपए इलाज में खर्च होने से बच रहे हैं। हेल्‍थ एंड वैलनेस सेंटर्स, आयुष्‍मान भारत हेल्‍थ इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर योजना जैसे अभियान इलाज को सबके लिए सुलभ बनाने में मदद कर रहे हैं। 

आयुष्‍मान भारत डिजिटल हेल्‍थ मिशन से मरीजों की सुविधाएं और बढ़ेंगी। आयुष्‍मान हेल्‍थ इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर मिशन के माध्‍यम से आधुनिक और क्रिटिकल हेल्‍थकेयर इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर को जिला और ब्‍लॉक लेवल तक पहुंचाया जा रहा है। देश में आज दर्जनों एम्‍स के साथ-साथ अनेकों सुपर स्‍पेशियलिटी अस्‍पतालों का निर्माण भी किया जा रहा है। देश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज का निर्माण का लक्ष्‍य हो या फिर मेडिकल एजुकेशन को सबकी पहुंच में रखने का प्रयास, इससे आने वाले दस सालों में देश को रिकॉर्ड संख्‍या में नए डॉक्‍टर मिलने वाले हैं। 

और ईसका लाभ अपने कच्छ को ही मिलने वाला है. यहां गोपालभाई मुझे कह रह थे, मैने लाल किले से कहा कि, आजादी का अमृत महोत्सव में हर एक को कुछ न कुछ योगदान देना चाहिए और आज वो संकल्प पूरा हो रहा है| उसके लिए सच में यह कर्तव्य भावना, समाज के प्रति निष्ठा का भाव, समाज के प्रति सदभावना-संवेदना, वह अपनी सबसे बडीं पूंजी होती है और कच्छ की एक विशेषता है | आप कहीं पर भी जाओ, कहीं भी मिलो, कच्छी कहो, उसके बाद कोई नहीं पूछेगा कि आप कौन से गांव के है, कौन सी जाति के है कुछ भी नहीं | आप तुरंत उसके हो जाते हो| यही कच्छ की विशेषता है, और कच्छ के कर्तव्य के क रूप में पहचान बने ईस तरह आप कदम रख रहे हो, और इसलिए आप सब और यहां इतने ही नहीं, और जेसे भूपेन्द्रभाई ने कहा, प्रधानमंत्री का सबसे प्रिय जिला, वास्तव में किसी को भी जब हम मुसीबत के समय पसंद आये हो, तो वो रिश्ता इतना अटूट बन जाता है | और कच्छ में भूकंप से जो दर्दनाक स्थिति थी, एसी परिस्थिति में मेरा जो आपसे घनिष्ठ संबंध जुड गया, उसका परिणाम है | न तो मैं कच्छ को छोड सकता हुं, न हीं कच्छ मुझे छोड सकता है | और ऐसा सौभाग्य सार्वजनिक जीवन में बहुत कम लोगो को मिलता है, और मेरे लिए यह गर्व की बात है | गुजरात आज चारो दिशा में प्रगति कर रहा है |

गुजरात के विकास की बात मात्र गुजरात में नहीं बल्की देश में भी उसका संज्ञान लिया जाता है|आप विचार करो, दो दसक पहले गुजरात में मात्र 9 मेडिकल कॉलेज थी. दो दसक मात्र 9 मेडिकल कॉलेज, और मात्र गुजरात के युवाओं को डोक्टर बनना हो तो ग्यारह सौ सीट थी |आज एक एम्स है, और तीन दर्जन से ज्यादा मेडिकल कॉलेज है| और जब दो दसक पहले हजार बालकों को स्थान मिलता था, आज छ हजार बालकों को डॉक्टर बनाने की व्यवस्था है, और 2021 में 50 सीट के साथ राजकोट में ऐम्स की शुरूआत हो चुकी है | अहमदाबाद, राजकोट में मेडिकल कॉलेज का अपग्रेडेशन का काम चल रहा है| भावनगर के मेडिकल कॉलेज का अपग्रेडेशन का काम लगभग पूरा हो चुका है | सिविल अस्पताल अहमदाबाद 1500 बेड वाला, और मेरी दृष्टि से ये एक बडा काम है | मातृ और शिशु, माता और बालकों उनके लिए सही अर्थ में एक उम्दा व्यवस्था वाली पूरी संरचना अपने यहां बनी है|कार्डियोलोजी हो, रिसर्च हो उसके लिए भी 800 बेड का अलग अस्पताल है जहाँ रिसर्च का भी काम होता है| गुजरात में कैंसर अनुसंधान का काम भी बडे पैमाने पर चल रहा है | इतना ही हमने पूरे देश में किडनी के पेशेंट और डायालिसिस की जरूरत का बडा संकट था | जहां डायालिसिस हफ्ते में दो बार करवाना होता है, महिनें में दो बार भी मौका न मिलता हो, उसके शरीर का क्या हो? आज जिले-जिले में मुफ्त में डायालिसिस की सेवा हमने शुरू की है | तो एक तरह से खूब बडे पैमाने पर काम चल रहा है | 

पर मुझे आप सभी भाइयों - बहनों से एक बात करनी है | यह आजादी का अमृत महोत्सव है, हम कितने भी अस्पताल बनाए, कितने भी, लाखो नए बेड बना दे, पर उससे कभी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता | परंतु हम समाज के अंदर ऐसी जागृति लाए, हम सब अपने कर्तव्य का पालन करे, और ऐसा वातावरण और ऐसी स्थिति बनाए की हॉस्पिटल जाना ही ना पडे | इन सभी मुसीबतो का उपाय यह है की अस्पताल जाना ही ना पडे और आज खूब सुंदर अस्पताल का उद्दघाटन हो रहा है | पर मुझे जो शुभकामना देनी हो तो मैं क्या दू? मैं शुभकामना दु, की अपने के. के. पटेल चेरिटेबल ट्र्स्ट में इतने सारे करोडो रुपये लगाए, सुंदर अस्पताल बनाया पर भगवान करे किसी को भी अस्पताल आना ही ना पडे और होस्पिटल खाली ही रहे | हमे तो ऐसे ही दिन देखने है | और होस्पिटल खाली कब रह सकती है, जब हम स्वच्छता के उपर ध्यान देते हो | स्वच्छता के सामने जोरदार लोगों में आक्रोश हो, गंदगी का घर में बाहर कहीं भी नामोनिशान ना हो, गदंगी के लिए नफरत, यह जो वातावरण पैदा हो, तो बिमारी घुसने का रस्ता मिल सकता है, नहीं मिल सकता | उसी तरह पानी, शुद्ध पीने का पानी, अपने देश में स्वच्छता का अभियान चलाया, शौचालय बनाने का अभियान चलाया, खुले में शौच मुक्ति के लिए अभियान चलाया और समाज ने भी पूरे देश में सहयोग दिया | और सबको पता है यह कोरोना की लडाई में हम जीतने लगे क्योंकी मूलभूत शरीर मजबूत हो, तो लडाई जीती जा सकती है | इतना बडा तूफान आया फिर भी हम ल़ड रहे है क्योंकी अभी भी कोरोना गया नहीं, हमें भूल नहीं करनी है परंतु यह अन्य देखभाल और जल जीवन मिशन के द्वारा नल से जल पहुंचाने का काम पूरे देश में चल रहा है | जो शुद्ध पीने का पानी मिले, इसी तरह पोषण, उसमें भी जंकफूड खाते रहे, पोस्ट ओफिस में जैसे सब डालते है वैसे सब डाला करे, तो न शरीर को लाभ होगा और न हीं स्वास्थ्य को लाभ होगा और इसके लिए ये जो डॉक्टर बैठै हैं, वो मुस्कुरा रहे है मेरी बात सुनकर, कारण, आहार के अंदर अपने यहाँ शास्त्रों में भी कहा है, आहार के अंदर जितनी नियमितता हो, जितना संयम हो, वो खूब महत्व का होता है | और आचार्य विनोबा जी ने, जो लोगो ने पढा हो उन्होंने बहुत अच्छी बात कही है, आचार्य विनोबाजी ने कहा है कि, व्रत करना आसान है, आप आसानी से व्रत कर सकते हो परंतु संयमपूर्ण भोजन करना मुश्किल काम है| टेबल पर बैठे हो और चार चीजे आई तो मन तो हो ही जाता है |

अब आज बडी चिंता यह है कि वजन बढ रहा है| अब वहां बैठे ज्यादा वजन वाले लोग शरमाना मत, वजन बढ रहा है, डायबिटीस का रोग घर-घर पहुंच रहा है| यह ऐसी चीजे है और डायबिटीस खुद ऐसी बिमारी है, जो दुनियाभर की बिमारी को निमंत्रण देती है | अब हमें अपना वजन घटाने के लिए कोई के. के. अस्पताल की राह देखनी होती है, हमें डायबिटीस से बचना हो तो थोडा सुबह में चलने जाना, चलना-फिरना होगा की नहीं, जो हम ये सब करते है, फिर जो स्वास्थ्य के लिए मूलभूत चीजे है वो हमें अस्पताल जाने नहीं देगी | उसी तरह आंतरराष्ट्रीय योग दिवस द्वारा हम सारी दुनिया में योग के लिए अभियान चला रहे है | सारी दुनिया ने योग को स्वीकारा है | इस बार आपने देखा होगा, कोरोना में हमारा योग और हमारा आर्युवेद पर लगभग दुनियाभर की नजरें गई है | दुनिया के हर देश में कोइ ना कोइ चीज आप देखिये, अपनी हल्दी सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट हो गई है | कोरोना में क्यों जनता को पता चला की भारत की जो जडी बूटियां होती है, वो स्वास्थ्य के लिये लाभदायी है | लेकीन अपने ही उसे छोड दे तो और उसके लिए हम उस तरफ जा सके | मैं मेरे कच्छ के लोगो को कहना चाहता हुं कि इस बार जब जून महिने में आंतरराष्ट्रीय योग दिवस आये तो क्या कच्छ वर्ल्ड रेकोर्ड कर सकता है ? इतना जबरदस्त विशाल कच्छ के अंदर योग के कार्यक्रम हो सकते है ? कच्छ का कोई ऐसा गांव ना हो, अभी भी डेढ- दो महिने बाकी है | इतनी महेनत किजीये, इतनी महेनत कीजीये कि अच्छे से अच्छा योग का कार्यक्रम हम करे | आप देखियेगा कभी होस्पिटल जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी | और मेरी जो इच्छा है कि किसी को के. के. होस्पिटल में आना ही ना पडे| मेरी इच्छा आप पुरी कीजीये स्वस्थ रहके | हा एक्सिडेन्ट होके जाना पडे वो अपने हाथ मे नहीं होता लेकिन मेरा मत यह है की ये सब चीज हम आग्रह पूर्वक करे |

अब जब कच्छ के भाइयो को मिल रहा हूं तब अब तो मेरा हक बनता है, आपके पास कुछ ना कुछ मांगने का और आपको देना हीं पडेंगा | हक से कहता हूं अब देखिये, दुनिया के इतने सारे देश मैं अपने कच्छी भाइ रहते है | हमारा कच्छ का रणोत्सव देखने पूरे देश के लोग अपने आप आने लगे है | कच्छ की जाहो-जलाली बढा रहे है | कच्छ की आर्थिक व्यवस्था को बढा रहे है | इससे बडी बात ये है की, कच्छ की महेमान नावाजी की पुरे हिंदुस्तान मैं प्रशंसा हो रही है | भाइ, कच्छ यानी की कच्छ ये जनता कहने लगी है | अब मुजे बताइये की कच्छ रणोत्सव में इतनी सारी महेनत सरकार करे, कच्छ के लोग महेमान नवाजी करे, उसका इतना जय जयकार होता है | लेकिन विदेशी महेमान कच्छ के रण में न दिखाइ दे, वह कैसे चलेंगा | हम हेल्थ टूरिज्म में लोग आये इसके लिये होस्पिटल बनाते है लेकिन टुरिजम के लिये आये उसकी तो शरूआत कीजीये | मेरी ये कच्छ के भाइयो को विनंती है और खास करके हमारे लेउआ पटेल समाज के भाइ यहा बेठे है, वह हिंदुस्तान में भी फैले हुए है और विश्व में भी फैले हुए है | हर साल और में चाहता हूं, आप हिसाब रखियेगा और अपने गोपालभाइ तो हिसाब किताब वाले इंसान है| वह तो पक्का करेंगे मेरी आप सबको विनंती है की हर साल विदेश में बसते हर कच्छी परिवार कम से कम पांच विदेशी नागरिको को हमारा कच्छ का रण देखने के लिये यहाँ भेजे | आप मुझे बताइए कि हमारा कच्छ का रण कैसे भरा हुआ लगेगा और दुनियाभर में सही मायने में कच्छ की पहेचान बने ही बने ? ये कोइ बहुत बडा काम नहीं है | आपके लिये आपको वहा छींक आयेंगी तो भी आप भूज आ जाये एसे लोग है | विदेश में बिमार पडे तो कहते हैं कच्छ में भूज जाकर एक हफ्ता हवा पानी चेन्ज करके आ जाओ तो स्वस्थ्य हो जाओगें| यह हमारा कच्छ के लिये प्रेम है, और जब यह प्रेम हो तो हम कम से कम 5 विदेशी लोग, भारतीय नहीं, उनको कच्छ के रण में लाये और इस साल इस दिसंबर मास में उसे भेजाना है | दुसरा सरदार पटेल साहेब को इतनी बडी श्रद्धांजलि आजादी के इतने साल बाद | सरदार साहेब का इतना बडा स्मारक बना उसका आपको गर्व है की नहीं है | आप तो मेरी प्रशंसा करते रहो मुजे शाबाशी देते रहो की मोदी साहेब आपने तो बहुत अच्छा काम किया | गुजरात सरकार तो भी अभिनंदन देते रहो कि बहुत अच्छा किया इतने से बात ख़त्म नहीं होती |

भाइओ,मेरी इच्छा है की दुनियाभर में से जैसे कच्छ के रण मे 5 लोग आये वैसे ही वोह 5 लोग स्टेच्यु ओफ युनिटी भी देखने जाये | आप देखिएगा, गुजरात का टूरिज्म का बहुत विकास होगा और टूरिज्म ऐसा व्यापार है की गरीब लोगों को रोज़गार देता है | कम से कम पूंजी लागत से ज्यादा से ज्यादा मुनाफा मिलता है| आप देखिए कच्छ के रण मे आपने देख लिया की छोटी से छोटी चीज बनाकर बेचने से बारह महिने का काम दो महिने मे हो जाता है | टुरिस्ट आता है तो रिक्शा वाला कमाता है, टैक्सी वाला कमाता है और चाय बेचने वाला भी कमाता है| इसलिए मेरी आप सबसे यह विनती है की हमको कच्छ को टूरिज्म का बड़ा सेंटर बनाना है | और इसके लिये मेरी अपेक्षा है की विदेश मे रहते मेरे कच्छी भाइयों और बहनें इस बार तय करे की हर फॅमिली हर बार 5 लोगो को ठीक से समझाये और भारत भेजने के लिये आग्रह करे और उसको समझाये की कहा जाना है, कैसे जाना है, आपकी वहा कैसी महेमान नवाजी होती है, आइए चलिये | और मैं 100 प्रतिशत कहता हूँ की अब टूरिज्म के लिये भारत अब लोगों में आकर्षण पैदा हुआ है | यहाँ कोरोना से पहले बहुत ज्यादा टुरिस्ट आने लगे थे लेकिन कोरोना के कारण रोक लग गइ | फिर से शुरु हो गया है, और आप मेरी मदद करो तो चारो दिशा में अपना जयजय कार हो जायेगा| और मेरी इच्छा है की आप इसका काम कीजीये | दुसरा एक काम और, कच्छ के भाइयों के प्रति मेरी यह तो अपेक्षा है ही, अब देखीये हमारे मालधारीभाइ कच्छ में दो चार महिने रुकते हो और फिर छ आठ महिना उनके पशुधन लेकर रोड पर जाते है | मीलों तक चलते है, क्या यह हमारे कच्छ को शोभा देता है ? जिस जमाने मे कच्छ आपको छोडना पडा दुनियाभर में कच्छी को क्यों जाना पडा, जल की कमी की वजह से कच्छ में रहेना मुश्कील हो गया | बच्चे दुखी हो, वैसी परिस्थिति पैदा हुइ थी | इसिलिये दुनिया में जाके महेनत करके रोजी रोटी कमा के खुद का गुजारा किया | उसने किसी के सामने अपना हाथ नहीं फैलाया और वह अपने पैरो पर खडा भी हुआ| और जहां भी गये अपने समाज का भला किया | कोइ स्कूल चला रहा है, तो कोइ गौशाला चला रहा हे, जहा भी जाये कच्छीमांडु किसी ना किसी प्रकार का काम करता ही है | अब जब हम इतना सारा काम करते है तब मेरी आपसे विनती है | मेरी खासकर के मालधारीओ से विनती है की पहले के समय मे ठीक है की आप अपने पशुओ को लेकर निकल पडते थे, लेकिन अब कच्छ मे पानी आ गया है |

अब कच्छ में हरियाली भी आ गइ है| अब कच्छ मे जीरा की फसल होती है, सुन कर आनंद होता है कि कच्छ में जीरा की फसल होती है | कच्छ के आम विदेश मे जाते हैं कितना आनंद होता है | हमारे कच्छ ने तो कमलम की पहचान बनाइ है | अपनी खजुर क्या कुछ नहीं है अपने कच्छ में फिर भी मेरे मालधारी भाइओ को हिजरत करनी पडे वह नहीं चलेगा | अब वहा भी घास चारा भी वहां पे है | हम को वहां पे स्थायी होना पडेगा | अब तो वहां पे डेरी भी हो गइ है, और आपके लिये तो पांचो उंगलीया घी मे हो ऐसे दिन आ रहे है | इसीलीये अपने मालधारी भाइयो को मिले और समझाएँ की अब पशुओं को ले के हिजरत करना बंद करे और यहा पे रहे| आपको यहा पे कोइ तकलीफ नहीं है | आप रहे यहाँ और अपने बच्चो को पढाइये, क्योंकी हिजरत करने वाले लोगो के बच्चे पढते नहीं है| और इस बात की मुझे पीड़ा रहती है | इसमे मुझे आपकी मदद चाहिए और एक महत्व का काम आप करे वह मरी अपेक्षा है | हम आजादी के अमृत महोत्सव में 75 तालाब हर एक जिले में बनाने को कहा है| हमारे कच्छ में दो तीन साल मे तालाब भरे ऐसा पानी आता है | कइ बार तो पाँच सालों में भी नहीं आता | कई बार तो मैंने देखा है की बच्चा पैदा होता है वह चार साल का होता है, लेकिन उसने बारीश हीं नहीं देखी होती | ऐसे दिन हमारे कच्छ के लोगों ने देखे है | यह समय में मेरी आप सबको विनती है की 75 भव्य तालाब ऐतिहासिक तालाब कच्छ की अंदर हम बना सकते है| और इसके लिये हिंदुस्तान मे जो कच्छी फैले हुए है, मुंबइ में तो आप बहुत मात्रा में रहते है, केरल में रहेते है, आसाम में बहुत मात्रा मे आप रहते हैं | कही भी, आप कम नहीं है | हिंदुस्तान के आधे से भी ज्यादा जिले में कच्छीभाइ पहुंच चुके है | 75 तालाब, आप मानीए की छत्तीसगढ में कच्छी समाज है तो एक तालाब वह संभाले, मुंबइ में कच्छी समाज है तो 5 तालाब संभाले, और तालाब छोटा नहीं होना चाहीए| हमारे नीमाबेन के 50 ट्रक अंदर हो तो दिखाइ ना दे उतने गहरे होने चाहिए| आप देखीएगा पानी का संग्रह होगा भले दो साल बाद पानी आये तीन साल बाद पानी आये, दो इंच पानी आये फिर भी जब तालाब भर जायेगा कच्छ की बड़ी ताकात बन जायेंगा | और कच्छ के लिये मैंने जो किया, उससे ज्यादा कच्छ ने मेरी बात को मान के बहुत ज्यादा किया है | और जब आप ज्यादा काम करते हो तब आपको ज्यादा काम करने का मन होता है | आप कुछ करते ही ना तो नमस्ते कहके मैं निकल जाता, लेकिन आप करते हो तो कहने का मन होता है| और इसलिये मेरी आप सब से विनती है की हमारे कच्छ को कर्तव्यभाव वाला कच्छ उसकी उंचाइयो को नया आयाम बताये और टूरिज्म हो की जल संग्रह, दोनों मे विश्व में रहता | कच्छी हो या हिंदुस्तान के कोने कोने मे रहेता कच्छी हो| आईए हम सब मिलकर भुपेन्द्रभाइ के नेतृत्व मे गुजरात को जिस तेज गति से आगे बढाया है उसमे हम भी अपने कर्तव्य को निभाये |

वहीं अपेक्षा, सब को जय स्वामिनारायण मेरी बहुत बहुत शुभकामनाएँ | धन्यवाद |

 

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