अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर 9 दिसंबर के दिन भारत और चीनी सेना में झड़प के दौरान दोनों पक्षों के कई सैनिकों के घायल होने की खबर आई है । सेना के सूत्रों के अनुसार इस भिड़ंत में भारतीय सेना के कम से कम 15 जवान घायल हुए हैं। वहीं चीनी सेना के 50 से ज्यादा सैनिकों की हड्डियां टूट गयी है और उन्हें भारी नुकसान हुआ है।
घायल भारतीय सैनिकों का इलाज गुवाहाटी के सैनिक अस्पताल में हो रहा है। दूसरी और कई चीनी सैनिकों के हाथ और पांव टूटने की खबर है। सेना सूत्रों के मुताबिक घटना के समय करीब 300 चीनी सैनिक LAC पर भारतीय सीमा में बाड़बंदी की नीयत से तार और इससे संबंधित सामान लेकर आये थे और भारतीय सेना के विरोध जताने पर चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों के साथ उलझ पड़े और तारबंदी के हत्यारों से ही हमला कर दिया। झड़प के बाद नुकसान होता देख चीनी सैनिक भाग खड़े हुए।
माना जाता है कि झड़प में घायल हुए चीनी सैनिकों की संख्या काफी अधिक हो सकती है। पूर्वी लद्दाख में रिनचेन ला के पास अगस्त 2020 के बाद से भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच यह पहली बड़ी झड़प है। भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पिछले साल अक्टूबर में भी यांग्त्से के पास एक संक्षिप्त टकराव हुआ था और स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार दोनों पक्षों के स्थानीय कमांडरों के बीच बातचीत के बाद इसे सुलझा लिया गया था।
इससे पहले जून 2020 में गलवान घाटी में भीषण संघर्ष के बाद भारत और चीन के बीच संबंधों में काफी तल्खी आ गई थी। दोनों पक्षों ने LAC पर धीरे-धीरे हजारों सैनिकों और भारी हथियारों की तैनाती कर दी थीं। पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद, भारतीय सेना ने पूर्वी थिएटर में LAC पर अपनी अभियानगत क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है। पूर्वी थिएटर में बड़े पैमाने पर सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में LAC से लगते सीमावर्ती क्षेत्र शामिल हैं तथा सीमांत क्षेत्रों में तवांग और उत्तरी सिक्किम क्षेत्र सहित कई संवेदनशील अग्रिम स्थान हैं।
9 दिसंबर को हुआ था चीनी सैनिकों का जमावड़ा
सेना ने इस घटना की पुष्टि तो की है लेकिन किसी तरह का ब्योरा साझा नहीं किया है। सेना के मुताबिक इस एलओसी पर भी सीमा रेखा को लेकर विवाद है और गश्त के दौरान अक्सर तनातनी हो जाती है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार एलएसी पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिकों का जमावड़ा 9 दिसंबर को देखा गया था। भारतीय सेना के जवानों ने उन्हें ऐसा करने से मना किया और दृढ़ता से उन्हें आगे बढ़ने से रोका। इसके बाद हुई झड़प में दोनों पक्षों के सैनिकों को चोटें आईं। झड़प के तत्काल बाद दोनों पक्ष अपने इलाकों में लौट गए।
घटना के बाद भारत के स्थानीय कमांडर ने चीनी पक्ष के कमांडर के साथ फ्लैग मीटिंग की और पहले से तय व्यवस्था के तहत शांति और स्थिरता कायम करने पर चर्चा की। सेना के सूत्रों ने बताया कि तवांग में एलएसी के कुछ इलाके ऐसे हैं जहां दोनों ही पक्ष अपना दावा करते हैं और यहां दोनों देशों के सैनिक गश्त करते हैं। यह ट्रेंड 2006 से चल रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, तवांग में आमने-सामने के क्षेत्र में भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को करारा जवाब दिया। घायल चीनी सैनिकों की संख्या भारतीय सैनिकों की तुलना में कहीं अधिक है। सामने आया है कि इस झड़प में 20 भारतीय जवान घायल हुए हैं जिन्हें इलाज के लिए गुवाहाटी लाया गया है। चीनी लगभग 300 सैनिकों के साथ पूरी तरह से तैयार होकर आए थे, लेकिन उन्हें भारतीय पक्ष से मुस्तैदी की उम्मीद नहीं थी। दरअसल, अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में एलएसी से लगे कुछ क्षेत्रों पर भारत और चीन दोनों अपना-अपना दावा करते हैं। ऐसे में 2006 से इस तरह के मामले अक्सर सामने आते रहे हैं।
क्यों खास है तवांग
तवांग पर कब्जे की मंशा के पीछे चीन की एक खास रणनीति है। इस पोस्ट पर काबिज होने के बाद वह तिब्बत के साथ-साथ एलएसी की निगरानी भी करना चाहता है। इसी रणनीति के तहत वह बार-बार इसके करीब पहुंचने की कोशिश करता है। बता दें कि तिब्बती धर्मगुरु का तवांग से खास रिश्ता है। 1959 में तिब्बत से निकलने के बाद मौजूदा दलाई लामा ने यहां कुछ दिन बिताए थे। यह बात भी चीन को चुभती है क्योंकि उसकी आंखों में दलाई लामा खटकते रहे हैं।