27 जनवरी 2023 : भारत और पाकिस्तान के बीच बहने वाली नदियों को लेकर भी दोनों देशों में विवाद रहा है। ऐसे में दोनों देशों की ओर से समय-समय पर जल विवाद को खत्म करने को लेकर बैठकें होती रही हैं। इसी क्रम में भारत और पाकिस्तान के मध्य सिंधु जल संधि में संशोधन करने पर भारत ने पाकिस्तान को नोटिस भेजा है। इससे पहले 5 साल तक विवाद समाधान तंत्र में गतिरोध रहने के बाद इस्लामाबाद से 90 दिनों के भीतर अंतर-सरकारी वार्ता में शामिल होने को कहा गया है।
यह पहली बार है कि जब भारत ने संधि के अस्तित्व में आने के बाद से इसमें संशोधन की मांग की है। सूत्रों का कहना है, "पाकिस्तान की कार्रवाइयों ने संधि के प्रावधानों और उनके कार्यान्वयन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और भारत को इंडस वाटर ट्रीटी के संशोधन के लिए एक उचित नोटिस जारी करने के लिए मजबूर किया है"।
इसका प्रमुख कारण पाकिस्तान द्वारा सिंधु जल विवाद के लिए समाधान तंत्र (कानूनी रूप से अस्थिर) के तहत 2 अलग-अलग प्रक्रियाओं की शुरुआत करना है। वर्ष 2015 पाकिस्तान ने भारत के किशनगंगा, रातले हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स पर न्यूट्रल एक्सपर्ट रखने का प्रस्ताव रखा था। इसके बाद साल 2016 में पाक ने "कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन" का प्रस्ताव रखा था।
क्या है सिंधु जल संधि
19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। भारत और पाकिस्तान के बीच हुई इस संधि का विश्व बैंक ने दलाली की थी। समझौते के समय भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व जवाहरलाल नेहरू ने किया था जो भारत के प्रधानमंत्री थे और पाकिस्तान के प्रतिनिधि मोहम्मद अयूब खान- पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे। संधि के अनुसार पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों- सिंधु, झेलम और चिनाब पर नियंत्रण दिया गया था जबकि भारत को तीन पूर्वी नदियों- रावी, ब्यास और सतलज का नियंत्रण दिया गया था।
नदियों को बाँटने का ये समझौता कई युद्धों, मतभेदों और झगड़ों के बावजूद 62 सालों से अपनी जगह कायम है।