कारनामा :उदयपुर में काश्तकार से जमीन अवाप्त कर जल संसाधन विभाग ने दी बगीचे के लिए निजी होटल को जमीन !
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उदयपुर में होटल माफिया और अफसरों की जुगलबंदी की कहानी मिसालें पेश कर रही है और इसी जुगलबंदी के कारण उदयपुर के आसपास की पहाड़ियाँ छलनी होती जा रही है और ग्रीन बेल्ट में भी निर्माण होते चले जा रहे है। उदयपुर प्रशासन आँख मीच कर चुपचाप उदयपुर की नैसर्गिक सुंदरता को निजी हाथों में सौपता चला जा रहा है।
हद तो तब हुई जब उदयपुर के कार्यालय अधिशाषी अभियंता,जल संसाधन खण्ड ,उदयपुर ने करोडो की महत्वपूर्ण जमीन जो कि कोडियात टनल के दोनों और स्थित खसरा संख्या 131 और 134 को बिना किसी शुल्क के 5 वर्ष के लिए मैसर्स ईशान क्लब्स एंड होटल प्राइवेट लिमिटेड को वृक्षारोपण कर बगीचा विकसित करने के लिए सौप दिया।
होटल ने अपनी मन मर्जी से ग्रीन नेट की आड़ में टनल के ठीक किनारे सड़क निकाल दी। सूत्र बता रहे कि उक्त कंपनी के कुछ रकबे जहाँ आज भी होटल संचालित हो रही है ,उसके कन्वर्जन के लिए रोड होना आवश्यक था। इसलिए कम्पनी ने जल संसाधन विभाग की जमींन को सोशल रेस्पोंसिबिलिटी के तहत जल संसाधन विभाग से अनुबंध पर ले लिया ताकि सड़क बनायी जा सके।
यहाँ ये बात ध्यान देने योग्य है कि ऐसी क्या नौबत आ गयी थी कि कार्यालय अधिशाषी अभियंता,जल संसाधन खण्ड ,उदयपुर ने करोडो की महत्वपूर्ण जमीन को एक निजी होटल को अनुबंध पर दे दिया जबकि इसी विभाग ने उक्त खसरों (131 और 134 ) को निजी काश्तकार से अवाप्त कर टनल के उपयोग हेतु लिया था। कुछ दिन पहले तक काश्तकार उक्त खसरों पर खेती तक कर रहा था।
आपको बताते चले कि उक्त होटल शहर से 10 किमी दूरी पर है और मुख्य मार्ग पर न होकर टनल तक पहुँचने के मार्ग पर स्थित है और रोड यहाँ पर आकर समाप्त हो जाती है और कोई अन्य गॉँव भी इस रास्ते पर नहीं आते है। आसपास के गाँव के निवासी बताते है कि होटल से जुड़े गार्ड्स वैसे भी किसी ग्रामीण को इस रोड पर आने नहीं देते है। ऐसे में यक्ष प्रश्न ये है कि जल संसाधन विभाग ने किसके लिए बगीचे बनाने के लिए अपनी करोड़ो की बेशकीमती जमींन निजी हाथों को सौंप दी जबकि होटल वालों के अतिरिक्त यहाँ न तो कोई आ सकता है और न किसी को इजाजत है।
मजे की बात तो ये है कि जब टनल के बारे में कार्यालय अधिशाषी अभियंता,जल संसाधन खण्ड ,उदयपुर के अधिकारी को बताया गया तो शुरुआत में उन्होंने एक अधिकारी को मौके पर भी भेजा लेकिन अब तक मौका रिपोर्ट के बारे में अधिकारी बगले झाँक रहे है। आपको बताते चले कि ये ऐसा पहला वाक्या हो सकता है जहा कार्यालय अधिशाषी अभियंता,जल संसाधन खण्ड ने किसी से जमीन अवाप्त कर उसे निजी हाथों को सौपा हो ,वरना आज तक तो जल संसाधन विभाग अपनी जरूरतों के लिए लोगों की जमींन अवाप्त करता आया है।
साफ़ है अधिकारियों के रिश्तों के अनुबंध उदयपुर को लीलते चले जा रहे है और उदयपुर लूटता चला जा रहा है।
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