उदयपुर, 15 नवंबर 2022 : उदयपुर रेलवे ट्रैक ब्लास्ट केस में जांच एजेंसियां तेजी से घटना की तह तक जाने में जुटी हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी-एनआईए, एफएसएल, एटीएस, ईआरटी, सीआईडी सहित कई एजेंसिया मामले की जांच कर रही हैं। स्थानीय लोगों से पूछताछ के बाद पुलिस को एक संदिग्ध पिक-अप वैन की जोरों शोरों से तलाश में लग गयी है। ये वैन घटना के आसपास इलाके में देखी गयी थी, इसकी तलाश हेतु इलाके के CCTV फुटेज देखे जा रहे है। ग्रामीणों के मुताबिक धमाके के बाद जब वह घर से बाहर निकले तो उन्होंने पुल के पास एक वाहन भी खड़ा देखा। देश की सबसे बड़ी एजंसियां एनआईए और एनएसजी गांव में लगातार जांच कर रही हैं। राजस्थान की एटीएस भी पहुंची हुई है। रेलवे ट्रैक को माइनिंग में काम आने वाले विस्फोटक से ब्लास्ट करने की सूचना भी हलकों में जाँच की दिशा का विषय है। सूत्रों ने बताया कि केवड़ा की नाल के पास ओढा रेलवे पुल पर पटरियों को नुकसान पहुंचाने के लिए खनन विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया। एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि विस्फोट के लिए 'सुपरपावर 90' के डेटोनेटर का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने बताया कि 'विस्फोट सुनियोजित प्रतीत होता है।ओढ़ा ब्रिज उदयपुर के जावर माइंस पुलिस थाना क्षेत्र में आता है।
घटना के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा की हम इस मामले को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। प्रदेश में केंद्र की जांच एजेंसियां आ गयी हैं और घटना की जांच NIA और NSG कर रह हैं। हम देख रहे हैं यह सब क्यों और कैसे हुआ है।
उदयपुर अहमदाबाद ट्रेक पर रेलों का संचालन हुआ फिर शुरू
ATS और पुलिस ने घटना स्थल की जांच रविवार रात 11.00 बजे पूरी की और इसके बाद एटीएस टीम द्वारा नार्थ-वेस्टर्न रेलवे को साइट क्लीयरेंस दिए जाने के बाद ट्रैक को फिट घोषित किया गया। वहीं अब उदयपुर-अहमदाबाद रेल मार्ग पर रेलों का संचालन शुरू कर दिया गया है।जिसके बाद सोमवार की सुबह 9 बजकर 20 मिनट पर इस ट्रैक से मालगाड़ी को निकाला गया।
NSG पहुंची मौके पर
रेलवे पीआरओ शशि किरण ने बताया कि रात तीन बजे यातायात दोबारा शुरू कर दिया गया है। मामले की जांच एनआईए को सौंप दी गई है। इस बीच सोमवार को दिल्ली से NSG के तीन अधिकारी उदयपुर आए, जो घटनास्थल पर जांच के लिए पहुंचे। पूरे मामले की तीन अधिकारी अलग-अलग एंगल से जाच कर रह हैं।
स्थानीय रेलवे की कार्य प्रणाली पर उठ रहे सवाल
ब्लास्ट की घटना होने के बाद एक सवाल खड़ा हो रहा है। लोग कह रहे है कि रात करीब 8 बजे ब्लास्ट हुआ और रेलवे को 12 घंटे बाद सुबह 8 बजे घटना की जानकारी मिली। 12 घंटे तक ट्रैक में विस्फोट के बारे में रेलवे को क्यों पता नहीं चल पाया। जबकि नियम है कि गैंग मेन रात में जांच करते हैं कि ट्रैक में कोई खराबी तो नहीं ।कंट्रोवर्सी भी खड़ी हो रही है कि ग्रामीण बोल रहे हैं कि सबसे पहले युवक संदीप पहुंचा और उसने जानकारी सभी को दी। वहीं रेलवे कह रहा हैं कि गैंग मेन ने पहले कंट्रोल रूम को जानकारी दी।
एक्सपर्ट ने बताया कि रेलवे में रात का एक नियम बना हुआ है। इसके लिए गैंग मेन की नियुक्ति भी की गई है। इनका काम है रात में ट्रैक की पूरी तरह निगरानी रखना। दो स्टेशनों के मध्य 4 गैंग मेन होते हैं जिसमें 2 एक स्टेशन से और दो दूसरे स्टेशन से निकलते हैं। 15 किलोमीटर की दूरी रहती है। हर स्टेशन के बीच में एक जगह निर्धारित रहती है जो दोनों स्टेशन से 7-7 किलोमीटर की दूरी पर रहती है। हालांकि कुछ स्टेशनों की दूरी इनसे कम भी होती है। इस निर्धारित जगह पर गैंग मेन पैदल ट्रैक पर चलकर चेकिंग करते हैं और कुछ भी ट्रैक में खराबी होने पर कंट्रोल रूम को सूचना देते है। एक्सपर्ट का कहना है कि ट्रैक बिना विस्फोटक के भी ब्लास्ट होते हैं। इस प्रकार के ब्लास्ट की समस्या सर्दियों में ज्यादा रहती है।
कड़ाके की सर्दी होती है तो रेलवे ट्रैक में ठंड से भी ब्लास्ट हो जाता है। इसलिए गैंग मेन ठंड में और ज्यादा इस बात का ध्यान रखते हैं। उत्तर-पश्चिम रेलवे के पीआरओ कैप्टन शशि करण ने बताया कि इस ट्रैक पर चल रही दो ट्रेन सुबह 6 से रात 10 बजे के बीच की है। अगर जहां रात के समय में ट्रेन का आवागमन होता है तो उस गैंग मेन ट्रेन के आने से पहले ही ट्रेक को चैक कर लेते हैं। यहां रात में ट्रेन संचालन नहीं है। इसलिए रात में चेकिंग नहीं हुई। रही बात जानकारी मिलने की तो ग्रामीण की सूचना से पहले सुबह आठ बजे गैंग मेन ने कंट्रोल पर सूचना दी थी। इसके 10 मिनट बाद ग्रामीण की तरफ से जानकारी प्राप्त हुई।
लेकिन एक प्रश्न अनुत्तरित है कि क्या वास्तव में इस रूट पर रात को मालगाड़ी का संचालन नहीं किया जा रहा था?
मोदी ने कहा था- रूट से मिलेगा इलाके में औद्योगिक विकास को बढ़ावा
एक नवंबर 2022 को जब प्रधानमंत्री मोदी बांसवाड़ा के मानगढ़ आए थे, तब उन्होंने अपने भाषण में इस रेलवे लाइन के महत्व के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि उदयपुर और इसके आसपास के जिलों के लोगों के लिए गुजरात आने-जाने की सहूलियत तो होगी ही, इसके साथ ही यह लाइन इस इलाके में औद्योगिक विकास को गति देगी।