उदयपुर से जुड़े भाजपा के वरिष्ठ नेता गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाये जाने के बाद राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद खाली पद को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। गुलाब चंद कटारिया के राज्यपाल बनने के 14 दिन बाद भी बीजेपी राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष का चुनाव नहीं कर पाई है। चुनावी साल में नेता प्रतिपक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर फैसला नहीं हो पाना सियासी चर्चा का विषय बन गया है।
भाजपा के लिए नेता प्रतिपक्ष का चुनाव करना मुश्किल ही नहीं अपितु टेढ़ी खीर हो गया है। नेता प्रतिपक्ष के लिए सूत्र बता रहे कि पार्टी हाईकमान ने इसके लिए अलग-अलग सर्वे कराए है। इन सर्वे के आधार पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम उभरकर सामने आया है। इससे लगता है कि भाजपा हाईकमान नेता प्रतिपक्ष के लिए वसुंधरा राजे का नाम सामने ला सकता है। पिछले कुछ दिनों से जिस तरह सियासी समीकरण बदले हैं, पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से जिस तरह राजे की मुलाकातें अच्छे माहौल में हुई हैं, उससे लगता है कि वसुंधरा राजे फिर एक बार नेता प्रतिपक्ष पद की मजबूत दावेदारी में आ गई हैं। अगर वसुंधरा राजे को नेता प्रतिपक्ष नियुक्त कर दिया जाता है, तो फिर राजस्थान में बीजेपी से सीएम का अगला चेहरा भी राजे हो सकती है।
ये तय माना जा रहा है कि नाम की घोषणा होने के साथ ही भाजपा को एक बार फिर बड़ी गुटबाजी का सामना करना पड़ सकता है। पार्टी का मानना है कि प्रदेश में संगठन में भी बदलाव होना है। ऐसी हालात में पार्टी अध्यक्ष सतीश पूनिया का नेता प्रतिपक्ष पर दावेदारी मजबूत हो सकती है।
यदि ऐसा होता है तो पूनिया की दावेदारी होते ही एक बार फिर राजस्थान में सीएम का सपना पाले सभी भाजपा नेता हल्कान हो जाएंगे। ऐसी सूरत में हो सकता है कि पार्टी नेता प्रतिपक्ष का चयन करने के बजाय उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के को आगे किया जाय। ऐसी भी संभावना है कि विशेष परिस्थिति में राजस्थान के किसी ऐसे चेहरे पर दांव खेला जाए जो सीएम के लिए दावेदार ना हो।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी के सर्वे के आधार पर इस पद पर दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी वसुंधरा राजे को कमान मिलनी चाहिए। भाजपा के सर्वे में वसुंधरा राज्य का नाम उभरकर सामने आया है। ऐसे में वसुंधरा राजे की उपेक्षा करके भाजपा का जीत पाना प्रदेश में इतना आसान नहीं होगा। पार्टी आलाकमान साफ कर चुका है कि पार्टी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करके चुनाव नहीं लड़ेगी। प्रतिपक्ष की दौड़ में राजेंद्र राठौड़ और जोगेश्वर गर्ग के नाम भी शामिल बताए जा रहे हैं।
गुलाब चंद कटारिया पांच दशक से सियासत में सड़क से लेकर विधानसभा सदन तक सक्रिय रहे है। कटारिया के राजभवन जाने के बाद राजस्थान नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी किसे मिलती है यह अहम माना जा रहा है। माना जा रहा है कि नए नेता प्रतिपक्ष के चेहरे से ही अगले सीएम के तौर पर चेहरे का आंकलन किया जा सकता है। हालांकि, यह कोई फिक्स पैटर्न नहीं है कि नेता प्रतिपक्ष ही सीएम फेस बनता है। इसके अलावा हाईकमान अगर किसी नए चेहरे को नेता प्रतिपक्ष पर लाता है तो यह भी एक संकेत के तौर पर देखा जाएगा।