21 जुलाई 2022 : मणिकर्णिका तीर्थ के पास स्थित रत्नेश्वर महादेव मंदिर को सहेजा नहीं गया तो आने वाली बरसात व बाढ़ में इसके ढहने की आशंका बनी हुई है। लंबे समय से मरम्मत के अभाव में शिखर से लेकर दीवारें भी क्षतिग्रस्त हो चुकीं हैं। स्वागत काशी फाउंडेशन के संयोजक अभिषेक शर्मा ने मंदिर को सहेजने के लिए पीएम से गुहार लगाई है। पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मंदिर को संरक्षित करने का अनुरोध किया है।
रत्नेश्वर महादेव का मंदिर काशी की अमूल्य धरोहर है और पूरे विश्व में विख्यात है। सात साल पहले मंदिर के शिखर पर आकाशीय बिजली गिरी थी। इसके कारण मंदिर के शिखर का एक बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। इसकी मरम्मत अभी तक नहीं हो सकी है। काशी आने वाला हर पर्यटक इसको देखने के लिए यहां आते हैं। हर बार बाढ़ में यह मंदिर गंगा में समाहित हो जाता है। डेढ़ साल पहले प्रधानमंत्री ने भी मंदिर की चर्चा की थी। इस मंदिर की मरम्मत होने से हम इस अमूल्य धरोहर को बचा सकेंगे। गंगा की तलहटी में बना यह मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।
बाढ़ की वजह से हर साल दीवार खड़ी की जाती है
साल भर में 8 महीने जल जमाव की वजह से मंदिर बंद रहता है। मंदिर सिंधिया घाट के नीचे है। इसलिए बाढ़ के समय पूरा मंदिर ही डूब जाता है। उस समय यहां कोई पूजा-पाठ नहीं होती। चौक क्षेत्र के सभासद संतोष शर्मा ने कहा, "बाढ़ की वजह से मिट्टी न जमे, इसलिए हर साल दरवाजे को बंद किया जाता है। मंदिर में एक बार गाद भर जाती है, तो उसे निकालने में काफी दिन लगते हैं। मलबा इतना मोटा होता है कि साफ-सफाई के दौरान गर्भगृह को काफी नुकसान पहुंचता है। मंदिर का ऊपरी हिस्सा बिजली गिरने से काफी हद तक क्षतिग्रस्त हो चुका है।"
500 साल पुराना है इतिहास
रत्नेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास करीब 500 साल पुराना है। इस मंदिर में एक घंटा-घड़ियाल नहीं है। मगर, इसके शिखर पर घंटा-घड़ियाल की कई आकृतियां बनी हैं। पिछले साल ट्विटर पर एक संस्था लॉस्ट टैंपल ने इसकी तस्वीर लगाकर पूछा था कि क्या बता सकते हैं कि किस महान शहर में यह मंदिर है। जवाब में पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कर लिखा, "यह काशी का रत्नेश्वर महादेव मंदिर है, अपने पूर्ण सौंदर्य के साथ।" इसके बाद इस मंदिर की दुनियाभर में चर्चा होने लगी।