हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने अडानी के बाजार वैल्यू को धरातल पर लाने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। हिंडनबर्ग खुद भी अपने आप को एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर कहती है। वस्तुतः ये कम्पनी दुनिया भर के बड़े व्यवसायियों के बिजनेस को टारगेट कर उनकी वित्तीय अनियमितताओं को रिपोर्ट के रूप में बाजार में लाती है और इस कारण बाजार में साख गिरने से शेयर बाजार में कम्पनी के शेयर्स की बिकवाली का दौर शुरू हो जाता है। वहीं हिंडनबर्ग अपने इन्वेस्टर्स के माध्यम से उसी कम्पनी के शेयर को बेचने (शॉर्ट सेलिंग) का बड़ा दांव बाजार में लगा देते है। इससे बाजार में टारगेट कंपनी के शेयर के भाव गिरते चले जाते है और हिंडनबर्ग जैसी कम्पनी अरबों कमा लेती है। हालाकि इसमें बड़ा आर्थिक खतरा हिंडनबर्ग को भी है क्योंकि यदि अब कुछ उनके दाव के अनुसार टारगेट कंपनी के शेयर के भाव नहीं गिरने की स्थिति में कम्पनी की शॉर्ट सेलिंग पॉलिसी से अरबों का नुकसान भी हो सकता है।
बताया जाता है कि हिंडनबर्ग अब तक 16 से ज्यादा कंपनियों को टारगेट कर चुकी है। वहीं खबरें ये भी है कि हिंडनबर्ग पर अमेरिका की कंपनियों पर रिपोर्ट प्रसारित करने पर वहां की कोर्ट ने रोक लगा रखी है। वहीं ब्लूमबर्ग न्यूज के अनुसार अमेरिकी न्याय विभाग ने हेज फंड और अनुसंधान फर्मों (हिंडनबर्ग) पर आपराधिक जांच चल रही है।
बड़ा सवाल ये है कि इससे पहले जिन कंपनियों के खिलाफ हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट जारी की थीं, उनका क्या हाल है? बिजनस मीडिया वेबसाइट लाइव मिंट के अनुसार कंपनी ने अब तक जितनी कंपनियों की पोल खोली है, उनमें से करीब तीन-चौथाई शेयरों के स्टॉक क्रैश हुए हैं। यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि उन हर 4 में से 3 कंपनियों के स्टॉक क्रैश कर गए हैं, जिनके खिलाफ हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट जारी की है।
हिंडनबर्ग ने अब तक Nikola, SCWORX , Genius Brand, Ideanomic , उसने विंस फाइनेंस, जीनियस ब्रांड्स, SC Wrox, एचएफ फूड, ब्लूम एनर्जी, Aphria, ट्विटर इंक जैसी कंपनियों के खिलाफ रिपोर्ट प्रकाशित कर अरबों कमाएं हैं।
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