क्या वसुंधरा को आड़े हाथों लेकर गहलोत जवाब दे रहे पायलट को या राजस्थान भाजपा में आने वाले किसी भूचाल की जानकारी लग गयी है उन्हें?
7 मई को धौलपुर की सभा में गहलोत के बयानों ने पायलट के साथ समझौते की सभी संभावनाएं और प्रायिकताओ पर विराम चिन्ह लगा दिया है। गहलोत बोले -"पिछले साल जब पार्टी के विधायकों की बगावत की वजह से मेरी सरकार गिरने के कगार पर थी, तो मुझे उस समय बीजेपी नेता और राज्य की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे समेत उनकी पार्टी के तीन नेताओं का साथ मिला था। गहलोत ने आगे कहा कि जब भैरो सिंह शेखावत की सरकार थी और मैं कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष था तब शेखावत की सरकार गिराने के लिए बीजेपी वाले मेरे पास आए थे, लेकिन मैंने मना कर दिया था।
अशोक गहलोत ने कहा कि एमएलए शोभा रानी बहुत बोल्ड लेडी हैं। शोभा रानी ने जब साथ दिया हमारा, तो भाजपा वालों की हवा उड़ गई। सीएम गहलोत ने कहा कि, ''जब शेखावत मुख्यमंत्री थे, उस वक्त उनकी पार्टी के लोग सरकार गिरा रहे थे। मैं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष था। मेरे पास लोग आए... बंटने लगा पैसा। अभी बंटा वैसा उस वक्त भी बंटा था। मैंने उनसे कहा भले आदमियो तुम्हारा नेता भैरौ सिंह शेखावत मुख्यमंत्री है, मैं पीसीसी का अध्यक्ष हूं। वो बीमार है, इसलिए अमेरिका गया हुआ है और तुम पीठ पीछे षड्यंत्र करके सरकार गिरा रहे हो। मैं तुम्हारा साथ नहीं दूंगा।''
सीएम गहलोत कहा कि, ''यही बात कैलाश मेघवाल और वसुंधरा राजे सिंधिया ने कही। हमारे यहां परंपरा नहीं रही है इस प्रकार पैसे के बल पर चुनी हुई सरकार गिराने की। यह क्या गलत कहा उन्होंने। शोभा रानी ने वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल की बात सुनी। इनकी अंतरात्मा ने कहा कि मुझे भी ऐसे लोगों का साथ नहीं देना चाहिए। क्या गलत कहा शोभा रानी ने। इसलिए हमारी सरकार बची है।''
उन्होंने कहा कि, ''मैं जिंदगी में यह घटना कभी भूल नहीं सकता, जो मेरे साथ बीती थी। यह तो प्रदेश वासी मजबूत रहे, सजग रहे। फोन आ गए थे विधायकों के पास। मुझे गर्व है कहते हुए। आम जनता ने अपने-अपने एमएलए को कहा, चाहे छह महीने होटलों में रहना पड़े, रहो, पर सरकार नहीं गिरनी चाहिए। इस बात का मुझे गर्व है।''
कांग्रेस हाईकमान और विशेष रूप से गांधी परिवार चाहता था कि विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच समझौता हो जाए। इसके लिए सीएम गहलोत को मनाने के प्रयास किए जा रहे थे, लेकिन गहलोत ने कहा कि 2019 में सचिन पायलट के साथ कांग्रेस के जो 18 विधायक दिल्ली गए, उन्होंने मेरी सरकार गिराने के लिए केंद्रीय मंत्री अमित शाह, धर्मेन्द्र प्रधान और गजेंद्र सिंह शेखावत से 10-20 करोड़ रुपए लिए। चूंकि करोड़ों रुपया लिया है, इसलिए ऐसे विधायक दबाव में है। गहलोत ने दिल्ली जाने वाले कांग्रेसी विधायकों को सलाह दी कि भाजपा के पैसे लौटा दो। यदि कुछ पैसे खर्च हो गए हों तो मुझे बताएं, मैं कांग्रेस हाईकमान से दिलवा दूंगा।
गहलोत का ये बयान सतही तौर पर कोई राजनीतिक बयानबाजी दिखाई नहीं दे रहा है, बल्कि पायलट के साथ दिल्ली जाने वाले विधायकों पर भ्रष्टाचार का बहुत बड़ा आरोप है और ऐसा लग रहा है कि गहलोत कांग्रेस हाईकमान को भी सीधे चुनौती दे रहे है कि अब सचिन पायलट से कोई समझौता नहीं हो सकता है। सूत्रों के अनुसार 13 मई के कर्नाटक के चुनाव परिणाम के बाद आलाकमान का राजस्थान के मुद्दे पर आने वाला था, लेकिन गहलोत ने 10 मई के कर्नाटक मतदान से पहले ही राजस्थान की सियासत में हलचल मचा दी है। कांग्रेस आलाकमान के लिए अब चुनौती ये है कि विधानसभा चुनाव से 06 महीने पहले सरकार गिराने की जोखिम कैसे ली ज़ाय?
जिस हिसाब से गहलोत ने सार्वजनिक तौर पर बयानबाजी की है,उसे देख अनुमान है कि अपनी ही पार्टी के विधायकों पर 10-20 करोड़ रुपए लेने के जो आरोप लगाए हैं, उनके सबूत भी गहलोत के पास हो सकते है। गहलोत एक मझे हुए खिलाड़ी हैं और उन्हें ये भी अनुमान होगा कि मामला पुलिस और कोर्ट में जा सकता है, क्योंकि इसमें पायलट सहित 19 विधायकों की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है। यहाँ ये बात भी विचारनीय है कि गहलोत गृह मंत्री भी है, इसलिए पुलिस और जांच एजेंसियां गहलोत के अधीन ही काम कर रही है और चुनाव तक जांच एजेंसियां गहलोत के नक्शे कदम पर ही सुरताल करेंगी। ऐसे में कब किस विधायक के खिलाफ कौन सा मुकदमा शुरू हो जाए , इस प्रश्न का उत्तर अशोक गहलोत के ही पास हैं।
उधर कांग्रेस की आपसी लड़ाई में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे चक्र व्यूह में उलझती दिखाई दे रही हैं। इससे पहले वसुंधरा राजे के कार्यकाल के भ्रष्टाचार की जांच कराने की मांग को लेकर पूर्व डिप्टी सीएम पायलट ने गत 11 अप्रैल को जयपुर में धरना भी दिया था। इस धरने का उद्देश्य गहलोत और वसुंधरा राजे की कथित मिली भगत को उजागर करना था। लेकिन अब गहलोत के बयान ने वसुंधरा राजे की भाजपा के प्रति निष्ठा पर भी सवालिया निशान लगाते हुए चोट पहुँचाई है। गहलोत का कहना है कि 2019 में जब अमित शाह धर्मेन्द्र प्रधान और गजेंद्र सिंह शेखावत मेरी सरकार को गिरा रहे थे, तब वसुंधरा राजे ने ही मेरा साथ दिया। वसुंधरा राजे के सहयोग से ही मेरी सरकार बच पाई। ऐसा लग रहा है कि गहलोत का मकसद वसुंधरा राजे को भाजपा से अलग थलग करने का है। क्या अशोक गहलोत एक सोची समझी चाल चल रहें हैं क्योंकि अशोक गहलोत जानते हैं कि यदि विपक्ष में कोई मजबूत लीडर हैं तो वो वसुंधरा हैं। इसलिए ये ऐसी चाल चलकर उनका कद पार्टी में और कार्यकर्ताओं में छोटा करना चाहते हैं।
जिससे उनके आगे का रास्ता साफ हो जाए।अशोक गहलोत को पता है वसुंधरा के अलावा कोई राजस्थान कांग्रेस को टक्कर नहीं दे सकता, बाक़ी राजस्थान भाजपा के नेता अशोक गहलोत के मुक़ाबले का जनाधार नहीं रखते, इसलिए उन्हें कमजोर करने की नापाक कोशिश है।
आख़िर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वसुंधरा राजे का नाम क्यों लिया है? या ये बहुत सोच समझ कर सटीक समय पर दिया गया बयान है,राजनीति इसे ही कहते हैं। कहीं गहलोत को ऐसा तो नहीं लगता है की राजस्थान भाजपा में राजे के अलावा कोई ऐसा कद्दावर चेहरा नहीं है जो सत्ता हासिल कर सके और कांग्रेस को मात दे सके ?
अगर सचिन पायलट की बग़ावत के मौक़े पर वसुंधरा राजे ने उनकी सरकार बचायी थी तो उसे सार्वजनिक करने की ज़रूरत क्या थी? अशोक गहलोत बहुत सुलझे हुए नेता हैं। वे ऐसा बयान जुबान फिसलने की नीयत से नहीं दे सकते है । कहीं ऐसा तो नहीं कि राजस्थान भाजपा के भीतर कोई बड़ा भूकंप आने वाला है, जिसकी अशोक गहलोत को ख़बर हो?
उधर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत झूठ बोल रहे हैं। मुख्यमंत्री मेरे ख़िलाफ़ एक बड़ा षड्यंत्र कर रहे हैं। राजे ने कहा कि वो गहलोत की कैसे मदद कर सकती हैं? जितना अपमान गहलोत ने मेरा किया है किसी और ने नहीं किया है।
उन्होंने कहा, "वह 2023 के चुनाव में होने वाली ऐतिहासिक हार से बचने के लिए ऐसी मनगढ़ंत कहानियाँ गढ़ रहे हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है, पर उनकी ये चाल कामयाब होने वाली नहीं है।"
वसुंधरा राजे ने कहा, "यदि उनके विधायकों ने पैसा लिया है तो वह एफआईआर दर्ज करवाएं। उन्होंने उन गृह मंत्री अमित शाह पर आरोप लगाया है, जिनकी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा सर्व विदित है।"
वसुंधरा राजे ने कहा, "रिश्वत लेना और देना दोनों अपराध हैं, यदि उनके विधायकों ने पैसा लिया है तो एफआईआर दर्ज करवाएँ।"
"सच तो यह है कि अपनी ही पार्टी में हो रही बग़ावत और रसातल में जाते जनाधार के कारण बौखलाहट में उन्होंने ऐसे अमर्यादित और असत्य आरोप लगाए हैं।"
पूर्व सीएम राजे ने जारी किए बयान में कहा- "विधायकों की ख़रीद-फ़रोख़्त की जहाँ तक बात है, इसके महारथी तो खुद अशोक गहलोत हैं।"
"जिन्होंने 2008 और 2018 में अल्पमत में होने के कारण ऐसा किया था। उस वक्त न भाजपा को बहुमत मिला था और न ही कांग्रेस को।"
"उस समय चाहते तो हम भी सरकार बना सकते थे, पर यह भाजपा के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ था।"
"इसके विपरीत गहलोत ने अपने लेन-देन के माध्यम से विधायकों की व्यवस्था कर दोनों समय सरकार बनाई थी।"