31 साल बाद वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में बने व्यास जी के तहख़ाने में रात को कमिश्नर ने पूजा की है। इससे पहले कल ही कोर्ट का आर्डर आया था और अदालत के फ़ैसले के कुछ ही घंटों में पूजा के लिए जरुरी इंतज़ाम कर लिए गए। विश्वनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी ओम प्रकाश मिश्रा और अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकालने वाले गणेश्वर द्रविड़ ने पूजा कराई। मंडल आयुक्त कौशल राज शर्मा काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के पदेन अध्यक्ष भी हैं, इसलिए वे पूजा पर बैठे रहे।
वाराणसी के जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने ज्ञानवापी से निकलते वक्त कहा कि कोर्ट के ऑर्डर का पालन किया गया है। वहीं पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन ने स्पष्ट बताया कि कानून व्यवस्था के पालन की पूरी तैयारी हो गई है। काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थित नंदी में सामने से बैरिकेडिंग का हिस्सा हटाया गया है। रात के समय से ही सुरक्षा व्यवस्था कड़ी हो गई थी। पूरा परिसर छावनी में तब्दील है।
अदालत के फैसले पर ओवैसी ने जताया दुख
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने वाराणसी कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि बुधवार को जज साहब के रिटायरमेंट का आखिरी दिन था। 17 जनवरी को रिसीवर बैठाया गया। पूरा केस पहले से ही डिसाइड किया गया था। उन्होंने कहा कि ये पूरी तरह से प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का उल्लंघन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की तरफ से जब तक इस एक्ट पर चुप्पी नहीं तोड़ी जाती है, तब तक इस तरह की चीजें होती रहेंगी।
एआईएमआईएम चीफ ने कहा कि आप ये बात खुद कह रहे हैं कि 1993 के बाद वहां कुछ नहीं हो रहा था। अपील के लिए 30 दिन का समय दिया जाना चाहिए था। मस्जिद के तहखाने में पूजा-अर्चना की जो इजाजत दी गई है, वो पूरी तरह से गलत है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि 6 दिसंबर की घटना एक बार फिर से हो सकती है। बता दें कि छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में स्थित बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया था।