भारत के लॉ कमीशन ने फिर से यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) पर कंसल्टेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए सार्वजनिक और धार्मिक संगठनों से राय मांगी गई है। लॉ कमीशन ने बुधवार (14 जून) को एक बयान जारी कर कहा कि 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के बारे में मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों के विचारों को जानने के लिए फिर से निर्णय लिया।
नोटिस का खासा अहम माना जा रहा है, क्योंकि सूत्रों का कहना है कि कॉमन सिविल कोड 2024 के आम चुनावों से पहले नरेंद्र मोदी सरकार का एक प्रमुख एजेंडा है और दूसरे कार्यकाल में उठाए गए दो प्रमुख कदमों – जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 की धाराओं को हटाना और अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण- के साथ यह तीसरे बड़े कदम के रूप में शामिल हो सकता है।
शुरुआती तौर भारत के 21वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के विषय की जांच की थी और दिनांक 07.10.2016 की एक प्रश्नावली और आगे सार्वजनिक अपील/नोटिस दिनांक 19.03.2018, 27.03.2018 और 10.4.2018 के साथ अपनी अपील के माध्यम से सभी हितधारकों के विचार मांगे थे। उसी के अनुसरण में, आयोग को जबरदस्त प्रतिक्रियाएँ प्राप्त हुई हैं। 21वें विधि आयोग ने 31.08.2018 को "पारिवारिक कानून में सुधार" पर परामर्श पत्र जारी किया है। चूंकि उक्त परामर्श पत्र के जारी होने की तारीख से तीन वर्ष से अधिक बीत चुके हैं, विषय की प्रासंगिकता और महत्व को ध्यान में रखते हुए और इस विषय पर विभिन्न न्यायालय के आदेशों को भी ध्यान में रखते हुए, भारत के 22वें विधि आयोग ने इस पर विचार-विमर्श करना समीचीन समझा।
तदनुसार, भारत के 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के बारे में बड़े पैमाने पर और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों के विचारों और विचारों को जानने के लिए फिर से निर्णय लिया। जो हितधारक विषय में रुचि रखते हैं, वे नोटिस की तारीख से 30 दिनों की भारत के विधि आयोग को Membersecretary-lci@gov.in पर ईमेल द्वारा भेज सकते हैं।