गोवर्धन सागर झील के पक्षियों के टापू पर मछली ठेकेदार का कब्ज़ा !




उदयपुर की झीलों की दुर्दशा के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार इससे जुड़े सरकारी विभाग है जो एक बार राजस्व लेने के बाद झील को ठेकेदारों के हवाले कर चैन की नींद सो जाते है और झीलें और झीलों से जुड़े पारिस्थिकी तंत्र मरते रहते है। ऐसा ही कुछ शहर की गोवर्धन विलास झील के साथ हो रहा जहाँ मछली पकड़ने वाले ठेकेदार ने गोवर्धन सागर झील में कई गड़बड़ झाले कर रखे है।
अव्वल तो गोवर्धन सागर झील में फिलहाल 5 से ज्यादा नाव मछली पकड़ने वाला ठेकेदार संचालित कर रहा है जबकि उदयपुर के परिवहन विभाग ने केवल 2 नावों के लिए ही स्वीकृति दे रखी है। इसके साथ ही झील किनारे पर एक पक्का निर्माण भी है जिसकी वैधानिकता भी सन्देहास्पद है। इसके साथ ही पुरे दिन यहाँ पर मछली खरीदने वाले लोग आते रहते है।
हद तो ये है कि इस मछली पकड़ने वाले ठेकेदार के कर्मचारियों ने गोवर्धन सागर झील के टापू पर जहाँ पक्षियों का निवास होता है ,वहाँ पर कब्ज़ा कर रहना शुरू कर दिया है और मौके पर कपडे तक सूखते नजर आ रहे है।इसके साथ ही टापू पर अस्थायी टेन्ट जैसी आकृति बना दी गयी है। इस तरह की मानव गतिविधि के कारण पक्षियों को दिक्कतों का सामना करना पड रहा है। पक्षियों को मजबूरन अन्य पेड़ो और जगह पर बैठना पड रहा है और शिकार में भी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है। साथ ही ठेकेदार ने मनमर्जी से किनारे पर भराव भी डाल कर किनारे की बंसियो तक झील के स्तर को ला दिया है। यही नहीं इसके ठिकाने के आसपास गन्दगी का आलम कुछ इस कदर है कि घूमने आने वाले लोग आँख नाक बंद कर गुजरने को मजबूर है।
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.wincompete&hl=en
Disclaimer : All the information on this website is published in good faith and for general information purpose only. www.newsagencyindia.com does not make any warranties about the completeness, reliability and accuracy of this information. Any action you take upon the information you find on this website www.newsagencyindia.com , is strictly at your own risk

