जयपुर, 3 सितम्बर। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री श्री कन्हैयालाल चौधरी ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि पंजाब की ओर से राजस्थान की नदियों एवं नहरों में आने वाले अपशिष्ट जल की रोकथाम के लिए प्रदेश सरकार द्वारा निरंतर प्रयास किये जा रहे है। उन्होंने बताया कि सतलुज नदी के जल संग्रहण क्षेत्र मे स्थित 57 एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) से अपशिष्ट जल की रोकथाम की जा रही है एवं इस क्षेत्र में 10 नये एसटीपी का भी निर्माण किया जा रहा है।
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री प्रश्नकाल के दौरान विधायक श्री डूंगरराम गेदर द्वारा इस सम्बन्ध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जल संसाधन मंत्री की ओर से जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थान-पंजाब बॉर्डर पर इंदिरा गाँधी फीडर एवं बीकानेर केनाल के माध्यम से राज्य की सीमा में प्रवेश करने वाले पानी की गुणवत्ता की रियल टाइम मॉनिटरिंग कर प्रत्येक घंटे के अन्तराल पर रिपोर्ट राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जल संसाधन विभाग के हनुमानगढ़ कार्यालय में प्रदर्शित की जाती है। इस रिपोर्ट के अनुसार पेयजल हेतु प्राप्त जल निर्धारित मानक का है।
इससे पहले विधायक श्री डूंगरराम गेदर के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री ने बताया कि जालंधर स्थित फैक्ट्रियों का रसायन युक्त अपशिष्ट पानी सतलुज नदी में गिरता है, जो हरिके बैराज के माध्यम से राजस्थान की नहरों में प्रवाहित होता है। राजस्थान सरकार ने समय-समय पर पंजाब सरकार से प्रदूषित जल को शोधन के पश्चात ही जल प्रवाह सिस्टम में प्रवाहित करने का आग्रह किया है जिससे इंदिरा गांधी नहर में प्रदूषित जल प्रवाहित नहीं हो। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा पंजाब प्रदूषण नियंत्रण मंडल को प्रदूषण के मुख्य स्त्रोतों का विस्तृत विवरण देते हुए जल प्रदूषण की रोकथाम हेतु निर्देश जारी किये गये ।
उन्होंने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यिूनल ने इस सम्बन्ध में मॉनिटिरिंग कमेटी का गठन करने के निर्देश दिये थे। मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ट्रिब्यूनल ने पंजाब राज्य को अभिष्ट मात्रा में इटीपी, सीइटीपी व एसटीपी स्थापित कर संचालित किये जाने, मुख्य सचिव, पंजाब को मॉनिटरिंग कमेटी के द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में अभिशंषाओं की क्रियान्विति हेतु कार्य योजना तैयार करने व माह में एक बार व्यक्तिगत रूप से समीक्षा किये जाने के निर्देश दिये हैं।