भारत दौरे पर आए मैक्सिको के विदेश मंत्री मार्सेलो एब्राड ने केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से मुलाकात की तथा दोनों देशों के बीच उन्नत प्रौद्योगिकी साझेदारी की इच्छा व्यक्त की। एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत आए मार्सेलो एब्रार्ड ने भारत और मैक्सिको के बीच मौजूदा सहयोग को मजबूत करने तथा टीके, सूचना प्रौद्योगिकी, हरित क्रांति, स्वास्थ्य, जैव प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष जैसे नए क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।
मुलाकात के दौरान डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, ’’सहयोगात्मक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच कई संयुक्त परियोजनाओं को लागू किया गया है। इससे दोनों देशों के वैज्ञानिक समुदायों के बीच नेटवर्किंग का विस्तार करने में मदद मिली है।’’
उन्होंने कहा, ’’दोनों देशों द्वारा समय-समय पर सहयोग कार्यक्रम (पीओसी) को दोहराया गया है, तथा वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त प्रस्तावों के लिए एक नया निर्णय लेने पर सहमत हुए हैं। भारत, स्वास्थ्य, मानव सुरक्षा और आने वाले वर्षों में ऊर्जा के क्षेत्रों में काम करने पर विशेष ध्यान देने के साथ पीओसी को आगे नया रूप देने में रुचि रखता है।’’ डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि कोविड-19 महामारी ने भारत के लिए दुनिया को सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की अपनी क्षमता दिखाने का एक अच्छा अवसर प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि इसने टीकों पर विशेष ध्यान देने के साथ स्वास्थ्य जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में एकसाथ काम करने की आवश्यकता पर बल दिया और सहयोग के इस क्षेत्र को एक साथ आगे ले जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वैज्ञानिक नवोन्मेष को उच्च प्राथमिकता देते हैं और वह अपने प्रत्येक भाषण में समुद्री विज्ञान, जलवायु परिवर्तन तथा जैव-ईंधन जैसी वैज्ञानिक परियोजनाओं पर प्रकाश डालते हैं। भारत और मैक्सिको को ’विशेषाधिकार प्राप्त भागीदार’ बताते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि दोनों देश कई क्षेत्रों में एक-दूसरे के पूरक और अनुपूरक हो सकते हैं और हम सही दिशा में हैं।
विदेश मामलों के मंत्री, मेक्सिको सरकार, मार्सेलो एब्रार्ड ने 1975 से दोनों देशों के बीच मौजूद सहयोग को मजबूत करने और एक साथ काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि एसएंडटी में सहयोग के नए क्षेत्र एक त्वरित व्यवस्था के साथ रफ्तार पकड़ सके।
भारत में मेक्सिको के राजदूत महामहीम फेडेरिको सालास ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों के पास कई राष्ट्रीय महत्व के संस्थान एक साथ काम कर रहे हैं और दोनों देशों के लाभ के लिए इस तरह के सहयोग के दायरे को बढ़ाने की जरूरत है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. एस चंद्रशेखर ने फार्मा उत्पादों को हरित बनाने और सहयोग के मौजूदा क्षेत्रों को मजबूत करने के लिए एक साथ काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जबकि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव, डॉ. एम रविचंद्रन ने डीप महासागर मिशन में सहयोग की संभावना का जिक्र किया।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, श्री राजेश एस गोखले ने टीकों के विकास और स्वास्थ्य के अन्य क्षेत्रों में भागीदारी की आवश्यकता को रेखांकित किया। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. शेखर मांडे ने जैव ईंधन, कार्बन तटस्थता और रासायनिक क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
डॉ. मांडे ने पहले मैक्सिको के प्रतिनिधिमंडल के साथ एक अलग बैठक में कहा था कि सीएसआईआर भारत का प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संगठन है, जिसके पास देश भर में फैली 37 अनुसंधान प्रयोगशालाएं हैं, जिसकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विविध विषयों में विशेषज्ञता है और यह भारत-मेक्सिको संबंध बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है तथा मेक्सिको में अपने साथियों के साथ अनुसंधान संबंधों को आगे भी मजबूती प्रदान करने का इच्छुक रखता है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारतीय गणतंत्र के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमओएसटी) और यूनाटेड मैक्सीकन स्टेट्स की राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (सीओएनएसीवाईटी) के बीच वर्ष 2020-22 के लिए मौजूदा पीओसी को 2 दिसंबर, 2019 को अंतिम रूप दिया गया था। सहयोग के तौर-तरीकों में कार्यक्रमों के विकास के लिए छात्रों, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, विशेषज्ञों तथा विद्वानों का आदान-प्रदान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर अल्पकालिक परिणामों के साथ उच्च प्रभाव वाली संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं, वैज्ञानिक कार्यशालाएं, सेमिनार, संगोष्ठी, सम्मेलन, कांग्रेस व अन्य बैठकें शामिल हैं।
बैठक में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिवों और डीजी, सीएसआईआर, विभिन्न विज्ञान विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, विदेश मंत्रालय के अधिकारी तथा भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय ने हिस्सा लिया।