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Current News / एनएमसीजी के महानिदेशक ने सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय जल सप्ताह 2022 में भाग लिया

clean-udaipur एनएमसीजी के महानिदेशक ने सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय जल सप्ताह 2022 में भाग लिया
DINESH BHATT April 18, 2022 08:30 AM IST

 

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक श्री जी. अशोक कुमार ने सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय जल सप्ताह, जल सम्मेलन 2022 में वर्चुअल रूप से भाग लिया तथा 'भारत में अपशिष्ट जल उत्पादनउपचार और प्रबंधन की स्थिति: एनएमसीजी पहलों के जरिए सफलतापर एक प्रस्तुति दी। श्री कुमार ने 17 अप्रैल को जल सम्मेलन की थीम 3 के तहत एनएमसीजी द्वारा आयोजित हॉट इश्यू कार्यशाला में 'विकासशील देशों में सतत अपशिष्ट जल प्रबंधन: नदी कायाकल्प में एक नवोन्मेषी भारतीय दृष्टिकोणपर चर्चा की।

भारत में जल परिदृश्य और जल और अपशिष्ट जल क्षेत्र में प्रमुख सरकारी योजनाओं को रेखांकित करते हुए श्री जी. अशोक कुमार ने 2019 में जल शक्ति मंत्रालय के गठन को "एक ऐतिहासिक क्षण" बताया और दर्शकों को जल शक्ति अभियान के तहत 'कैच द रेन: व्हेयर इट फॉल्सव्हेन इट फॉल्स' अभियान की सफलता से अवगत कराया।

श्री कुमार ने नमामि गंगे कार्यक्रम का अवलोकन दिया और परियोजना के कुछ सकारात्मक परिणामों और प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने अर्थ गंगा के बारे में चर्चा की और दर्शकों को इसके छह कार्यक्षेत्रों - शून्य बजट प्राकृतिक खेतीआजीविका सृजन के अवसरसांस्कृतिक विरासत और पर्यटनमुद्रीकरण और कीचड़ और अपशिष्ट जल का पुन: उपयोगसार्वजनिक भागीदारी और संस्थागत भवन के बारे में बताया।

एनएमसीजी के महानिदेशक ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम के दूसरे चरण का फोकस यमुना जैसी गंगा की सहायक नदियों में सीवरेज अवसंरचना निर्माण और पीपीपी विकास प्रयासों को बढ़ाने पर होगा। उन्होंने पुनः प्राप्त, पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण पर केंद्रित एक चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल विकसित करने के लिए एनएमसीजी की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि भविष्य में काम के प्रमुख क्षेत्रों में से एक क्षेत्र शहरी स्थानीय निकायों और ग्रामीण क्षेत्रों में मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन का होगा।

कीचड़ प्रबंधन पर एक प्रश्न के प्रत्युत्तर मेंश्री कुमार ने कहा: "प्रत्येक दिन कई टन कीचड़ उत्पन्न होता है और हमारा लक्ष्य कीचड़ प्रबंधन के आधार पर एक चक्रीय अर्थव्यवस्था विकसित करना है। उन्होंने कहा, "अर्थ गंगा के तहतजिसका उद्देश्य लोगों को नदी से जोड़ना हैहम हितधारकों/लोगों को कुछ आर्थिक लाभ प्रदान करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि नदी को साफ रखने में उनकी कुछ दिलचस्पी पैदा हो।

उन्होंने कहा कि एनजीटी के निर्देशों के अनुसार, पूरे भारत में नदी के हिस्सों को स्वच्छ रखने के लिए एक अभियान चलाया जा रहा है और राज्यों को कुल उत्पन्न सीवरेज और वर्तमान क्षमता का आकलन करने और यह सुनिश्चित करते हुए कि अपशिष्ट जल की एक बूंद भी नदी में न जाए, अंतराल को कम करने के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि, "यह बहुत अधिक कीचड़ उत्पन्न करेगा- अर्थ गंगा का एक कार्यक्षेत्र 'शून्य बजट प्राकृतिक खेतीहैजिसका उद्देश्य कीचड़ से बनी प्राकृतिक खाद / मृदा कंडीशनर प्रदान करके प्राकृतिक खेती की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाना और रसायनों और उर्वरकों के उपयोग को कम करना है और इस प्रकार किसानों द्वारा हितधारकों (इस मामले में किसानों) को आर्थिक लाभ प्रदान करने के साथ कीचड़ प्रबंधन में एक चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल विकसित करना है।

कार्यशाला के पहले भाग के दौरान अन्य वक्ताओं में श्री डी पी मथुरिया (ईडी-तकनीकीएनएमसीजी)श्री राजीव रंजन मिश्रा (मुख्य सलाहकारराष्ट्रीय शहरी मामलों के संस्थान (एनआईयूए) और पूर्व डीजीएनएमसीजी)श्री भैरव देसाई (सूरत नगर निगम से), श्री के पी बख्शी (पूर्व अध्यक्षमहाराष्ट्र जल संसाधन नियामक प्राधिकरण)श्री के पी माहेश्वरी (सीईओअदानी वाटर)श्री रजनीश चोपड़ा (वैश्विक प्रमुख- व्यवसाय विकासवीए टेक डब्ल्यूएबीएजी लिमिटेड।) और डॉ. नुपुर बहादुर (सीनियर रिसर्च फेलोटेरी - द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट) शामिल थे। इस सत्र के दौरान, भारत में प्रभावी और कुशल अपशिष्ट जल प्रबंधन,  शासन की चुनौतियों को कम करने के प्रयास और भारतीय अपशिष्ट जल क्षेत्र में एक रुपांतरकारी बदलाव की शुरुआत, निजी क्षेत्र और उद्योग भागीदारों की भूमिकाज्ञान के आधार का सह-निर्माणअनुसंधान और विकास परितंत्र और लोगों से जुड़नाभारतीय शहरों से केस स्टडी, अद्वितीय परियोजना वितरण मॉडल आदि के माध्यम से परिसंपत्ति निर्माण और रखरखाव में जैसे विषयों पर प्रस्तुतियाँ दी गईं।

सत्र के दूसरे भाग मेंअन्य विकासशील तथा विकसित देशों के पैनलिस्टों ने अपने अनुभवोंचुनौतियों और कार्यक्षेत्र में अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया। पैनलिस्टों में श्री कला वैरावमूर्ति (ईडी, इंटरनेशनल वाटर एसोसिएशन)श्री सुमौलेंद्र घोष (एसोसिएट पार्टनर और ग्लोबल वाटर लीडकेपीएमजी इंडिया)डॉ. वैलेरी नायडू (कार्यकारी प्रबंधकबिजनेस एंड इनोवेशन्सवाटर रिसर्च कमीशन,  दक्षिण अफ्रीका), श्री माधव बेलबेस (पूर्व सचिवनेपाल जल आपूर्ति मंत्रालय) और प्रोफेसर टोनी वोंग (अध्यक्षवाटर सेंसेटिव सिटीज थिंक टैंकमोनाश विश्वविद्यालय) शामिल थे।

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