उदयपुर,11 नवम्बर 2022 :उदयपुर में दिसंबर में होने वाली G 20 की शेरपा बैठक को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। विवाद कार्यक्रम के आयोजन स्थल को लेकर हुआ है। मेवाड़ राजघराने के सदस्य एवं पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ ने उदयपुर में होने जा रही जी-20 शेरपा बैठक के आयोजन स्थलों को विवादास्पद बताया है और इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि जिन स्थानों पर जी-20 शेरपा की बैठक होगी, वह हिंदू संयुक्त परिवार की संपत्ति के रूप में मानी गई है। इन स्थानों पर आयोजन से पहले उन सभी स्वामियों से सहमति ली जानी थी, जो इसके हकदार हैं। पूर्व महाराणा महेंद्र सिंह मेवाड़ के पुत्र विश्वराज सिंह ने पीएम, विदेश मंत्री, पर्यटन मंत्री को पत्र लिखकर बताया है कि कार्यक्रम जहां आयोजित हो रहा है, उसका मामला कोर्ट में चल रहा है। ऐसे में वहां आयोजन करना गलत है। उन्होंने पत्र में कहा ऐसे उच्च पदों पर बैठे लोगों से अपेक्षा की जाती है कि वे उन कार्यालयों की गरिमा की रक्षा करें, जिनका वे प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्हें कम से कम न्याय निर्णय के अधीन और विवादस्पद मामलों पर पहले से विचार करना चाहिए। ऐसे में निचले अधिकारियों को क्या संदेश भेजा जा रहा है, जिन्हें यह सुनिश्चित करना है कि अदालत के आदेशों और कानून के अन्य प्रावधानों का उल्लंघन न हो।
पूर्व महाराणा महेंद्र सिंह मेवाड़ के पुत्र विश्वराज सिंह ने प्रधानमंत्री के अलावा विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर एवं पर्यटन मंत्री किशन रेड्डी को भी पत्र लिखा है। विश्वराज सिंह मेवाड़ ने लिखा है कि मेवाड़ राजघराने के सबसे बड़े सदस्य महेंद्र सिंह मेवाड़ हैं, जो मेवाड़ के अंतिम महाराणा भूपाल सिंह के बेटे महाराणा भगवत सिंह जी की बड़ी सन्तान है। हिंदू संयुक्त परिवार की संपत्ति में सिटी पैलेस, दरबार हॉल, माणक चौक भी आते हैं, जहां जी-20 शेरपा की बैठक होने जा रही है। इन संपत्ति के स्वामित्व को लेकर कई दशकों से अदालत में विवाद चल रहा है।
मेवाड़ राजघराने के सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ का कहना है कि 22 अप्रेल 1983 को दायर वाद के आदेश में जिला न्यायालय उदयपुर ने 30 जून 2020 को फैसला सुनाया था। जिसमें पारिवारिक संपत्ति को हिंदू संयुक्त परिवार की संज्ञा दी गई। फिलहाल मामला जोधपुर हाईकोर्ट में लंबित है, जिसमें यथास्थिति के आदेश जारी हैं। जहां कुछ संपत्तियों को लेकर दोनों पक्षों में सहमति बन चुकी है और केवल वाणिजियक उपयोग में ली जा रही कुछ संपत्तियों को लेकर वाद जारी है।