कांग्रेस ने गुरुवार को आरोप लगाया विधि आयोग (law Commision) द्वारा समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर उठाया गया नया कदम यह दर्शाता है कि मोदी (Modi) सरकार अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने और ध्रुवीकरण के अपने एजेंडे को वैधानिक रूप से जायज ठहराने के लिए व्याकुल है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि विधि आयोग को अपनी विरासत का ध्यान रखना चाहिए और यह भी याद रखना चाहिए कि देश के हित भारतीय जनता पार्टी की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से अलग होते हैं।
उल्लेखनीय है कि विधि आयोग ने बुधवार को कहा कि उसने राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दा ‘समान नागरिक संहिता’ (यूसीसी) पर लोगों तथा मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों के सदस्यों सहित विभिन्न हितधारकों के विचार आमंत्रित कर नये सिरे से परामर्श की प्रक्रिया बुधवार को शुरू कर दी। इससे पहले, 21वें विधि आयोग ने मुद्दे की पड़ताल की थी और समान नागरिक संहिता पर दो मौकों पर सभी हितधारकों के विचार मांगे थे। उसका कार्यकाल अगस्त 2018 में समाप्त हो गया था।
रमेश ने एक बयान में कहा, यह बात अजीबोगरीब है कि विधि आयोग नए सिरे से राय ले रहा है, जबकि उसने अपनी विज्ञप्ति में खुद स्वीकार किया है कि उससे पहले के विधि आयोग ने इस विषय पर अगस्त 2018 में परामर्श पत्र प्रकाशित किया था। उन्होंने दावा किया कि इसका कोई कारण नहीं दिया गया कि इस विषय पर अब विचार क्यों हो रहा है। रमेश ने कहा कि विधि आयोग ने इस विषय की विस्तृत और समग्र समीक्षा करने के बाद यह कहा था कि फिलहाल न तो समान नागरिक संहिता की जरूरत है और ना ही यह वांछित है।
काँग्रेस इससे पहले हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनावो में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का समर्थन कर चुकी है और उस समय काँग्रेस ने कहा था कि वह इस पर राजनीति नहीं चाहती है। सरकार को इस पर आम सहमति बनानी जानी चाहिए और राजनीतिक दलों से बात करनी जाए। कांग्रेस पार्टी शुरू से ही इसकी पक्षधर रही है।