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clean-udaipur प्रमुख शासन सचिव ने की स्वास्थ्य सुविधाओं एवं कार्यक्रमों की विस्तृत समीक्षा
Dinesh Bhatt May 24, 2025 06:35 PM IST
जयपुर, 24 मई। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रदेशभर में संचालित विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों को पब्लिक एवं पेशेंट फ्रेण्डली बनाया जाएगा तथा इनकी और अधिक प्रभावी क्रियान्विति सुनिश्चित की जाएगी। लू-तापघात, जांच, दवा एवं उपचार सेवाओं की गुणवत्तापूर्ण उपलब्धता, उपकरणों की क्रियाशीलता पर विभाग का विशेष रूप से फोकस रहेगा। राजधानी से लेकर गांव-ढाणी तक स्वास्थ्य सेवाओं में किसी भी स्तर पर कोई लापरवाही सामने आई तो जिम्मेदारी तय की जाएगी और सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। 
 
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गायत्री राठौड़ ने शनिवार को स्वास्थ्य भवन में आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंस में इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का ध्येय है कि जन-जन को स्वास्थ्य सुविधाओं की प्रदायगी बिना किसी कठिनाई के हो और गुणवत्तापूर्ण सेवाएं मिलीं। इसे ध्यान में रखते हुए ग्रास रूट लेवल तक प्रो-एक्टिव एप्रोच के साथ काम करें। सेवाओं की प्रदायगी में किसी भी स्तर पर कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
 
लू-तापघात प्रबंधन को दें सर्वाेच्च प्राथमिकता-
 
प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि ​राज्य स्तरीय अधिकारी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सहित ​अन्य अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि चिकित्सा संस्थानों में जांच, दवा एवं उपचार सुविधाओं में किसी तरह की कमी नहीं रहे। लू-तापघात की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए पुख्ता इंतजाम किए जाएं। दवाओं की उपलब्धता, ऑक्सीजन प्लांट्स और उपकरणों की क्रियाशीलता का विशेष ध्यान रखा जाए। दवाओं की आपूर्ति में किसी तरह की बाधा हो तो तत्काल उच्च स्तर पर अवगत कराएं। नियमानुसार फण्ड की उपलब्धता के अनुसार स्थानीय स्तर पर दवाओं की खरीद की जाए। उपकरणों के खराब होने की स्थिति में तत्काल प्रभाव से मेंटीनेंस कराएं या वै​कल्पिक व्यवस्था के माध्यम से जांच सुविधा उपलब्ध करवाई जाए। 
 
जांच मशीनें अक्रियाशील होने की शिकायत पर संस्थान प्रभारी होंगे जिम्मेदार
 
श्रीमती राठौड़ ने कहा कि पश्चिमी राजस्थान सहित प्रदेश के विभिन्न जिले आगामी कुछ समय लू-तापघात की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। इन जिलों में हीटवेव प्रबंधन से जुड़ी गतिविधियों को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने एक-एक जिले से उपकरणों की क्रियाशीलता, दवाओं एवं स्टाफ की उपलब्धता के बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि जांच मशीनें लंबे समय तक खराब रहने और इसके कारण मरीजों को परेशानी होने की शिकायतें  आईं तो संबंधित चिकित्सा संस्थान प्रभारी की जिम्मेदारी तय होगी। उन्होंने कहा कि राज्य स्तर से टीमें भी प्रदेशभर में लगातार निगरानी रखें और दैनिक रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें। जांच, उपचार एवं दवाओं को लेकर किसी तरह की शिकायत नहीं आए। चिकित्सा संस्थानों में स्टाफ की कमी हो तो मुख्यालय पर अवगत कराएं। साथ ही, नियमानुसार संविदा आधार पर सेवाएं ली जाएं। 
 
निरामय राजस्थान को सफल बनाएं, एनसीडी स्क्रीनिंग के शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल करें
 
प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि राज्य सरकार ने आमजन को स्वस्थ जीवन शैली अपनाने एवं गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए निरामय राजस्थान अभियान संचालित किया है। नियमित रूप से गतिविधियां आयोजित कर इस अभियान को सफल बनाएं। उन्होंने कहा कि सभी सीएमएचओ यह सुनिश्चित करें कि 30 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की एनसीडी स्क्रीनिंग के निर्धारित लक्ष्य हासिल हों। 
 
टीबी मुक्त भारत अभियान की गतिविधियों को गति दें-
 
श्रीमती राठौड़ ने कहा कि टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत राजस्थान ने विगत दिनों में बेहतर प्रदर्शन किया है। भविष्य में भी प्रतिबद्धता के साथ काम करते हुए ​शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल करें। उन्होंने कहा कि जिलों में सीएमएचओ इस कार्यक्रम पर फोकस करते हुए टीबी मुक्त भारत के तहत होने वाली गतिविधियों को मिशन मोड में संचालित करें। नॉट मशीन की रेगुलर मॉनिटरिंग करने के साथ ही इन जांच मशीनों को समुचित उपयोग किया जाए। अधिक से अधिक ग्राम पंचायत को टीबी मुक्त बनाया जाए।
 
भवन रख-रखाव पर ध्याद दें, फायर सेफ्टी ऑडिट तत्काल कराएं-
 
श्रीमती राठौड़ ने कहा कि रोगियों, परिजनों एवं स्वास्थ्य कार्मिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा संस्थानों के भवनों के रख-रखाव एवं नियमित मेंटीनेंस में लापरवाही नहीं हो। प्रभारी अधिकारी संस्थान के भवन का समय-समय पर निरीक्षण करें और आवश्यकतानुसार मरम्मत कार्य करवाएं। साथ ही, फायर सेफ्टी ऑडिट आवश्यक रूप से कराएं। जिन संस्थानों ने अभी तक फायर सेफ्टी ऑडिट नहीं कराई है, वे तत्काल कराएं।
 
मिलावट के खिलाफ निरंतर चलाएं अभियान-
 
श्रीमती राठौड़ ने कहा कि गर्मी के मौसम को देखते हुए खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता एवं मिलावट की जांच के लिए निरंतर अभियान चलाया जाए। जिलों में खाद्य सुरक्षा अधिकारी नियमित रूप से फूड सैम्पल लें और आमजन को मिलावट से बचाने के लिए जागरूक भी करें। खुदरा विक्रेताओं एवं स्ट्रीट वेंडर्स के साथ ही खाद्य पदार्थ बनाने वाली बड़ी निर्माण इकाइयों का भी समय-समय पर निरीक्षण किया जाए। नियमों के विपरीत खाद्य पदार्थ निर्माण या विक्रय करने वालों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाए। 
 
तीन महीने में खत्म की जाएगी यूडीआईडी की पेंडेंसी-
 
प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि विभागीय अधिकारी दिव्यांगजन प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया को सुगम बनाएं और विस्तृत कार्य योजना बनाकर तीन माह में पेंडेंसी खत्म करें। साथ ही, भविष्य में इस कार्य को प्राथमिकता देते हुए समयबद्ध रूप से प्रमाण-पत्र बनाना सुनिश्चित करें। किसी भी दिव्यांगजन को प्रमाण-पत्र के लिए चक्कर नहीं काटने पड़ें। पेंडेंसी समय पर खत्म नहीं होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। बैठक में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक श्री बचनेश अग्रवाल ने दिव्यांगजन प्रमाण की पेंडेंसी पर चर्चा करते हुए प्रक्रिया को सुगम बनाने के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
 
सिलिकोसिस पीड़ितों को तत्काल मिले राहत, फर्जी जांच रिपोर्ट पर कानूनी कार्रवाई-
 
श्रीमती राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार सिलि​कोसिस पीड़ितों को संवेदनशीलता के साथ विभिन्न योजनाओं का लाभ दे रही है, ताकि वे और उनके परिवार को राहत मिल सके। चिकित्सा विभाग के अधिकारी नियमानुसार सिलिकोसिस पीड़ितों को लाभ दिलाना सुनिश्चित करें, लेकिन यह ध्यान रखा जाए कि फर्जी जांच रिपोर्ट या दस्तावेजों के आधार पर कोई अनुचित लाभ प्राप्त नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि किसी भी चिकि​त्सा संस्थान ने फर्जी जांच रिपोर्ट तैयार की या किसी कार्मिक की इसमें मिलीभगत पाई गई तो विभागीय कार्रवाई के साथ ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, फर्जी तरीके से लाभ लेने वाले व्यक्तियों पर भी सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
 
बैठक में आरएमएससीएल की प्रबंध निदेशक श्रीमती नेहा गिरि, खाद्य सुरक्षा आयुक्त श्री एच गुईटे, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक डॉ. भारती दीक्षित, अतिरिक्त मिशन निदेशक डॉ. टी. शुभमंगला, निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। संयुक्त निदेशक जोन, मेडिकल कॉलेज अधीक्षक, समस्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, आरसीएचओ, जिला क्षय रोग अधिकारी सहित अन्य अधिकारी वीसी से जुड़े।
 
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