2 जनवरी 2023 : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नोटबंदी से जुड़ी 56 याचिकाओं पर बड़ा फैसला सुनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को 1000 रुपये और 500 रुपये के चलन में रहे नोट को बंद करने का बड़ा ऐलान किया था। सभी को ऐसे पुराने नोट जमा करने का एक महीने का वक्त दिया गया था।उच्चतम न्यायालय ने नोटबंदी के इसी फैसले को चुनौती से जुड़ी याचिकाओं पर अपनी राय दी। जस्टिस एसए नजीर की अगुवाीई वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने इस पर निर्णय़ दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार के 2016 में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया। जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा कि आर्थिक फैसलों को बदला नहीं जा सकता।
इससे पहले जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने पांच दिन की बहस के बाद 7 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसला सुनाने वाली बेंच में जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस ए.एस. बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन, और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना शामिल रहे।
बेंच ने सरकार के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, रिजर्व बैंक के अधिवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम व श्याम दीवान समेत तमाम याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकीलों के तर्क सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। पुराने नोटों को बंद करने के फैसले को गलत ठहराते हुए चिदंबरम ने कहा थी कि केंद्र की मोदी सरकार कानूनी निविदा से जुड़े किसी प्रस्ताव को अकेले प्रारंभ नहीं कर सकती।
सिर्फ रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर ऐसा हो सकता है। वहीं केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ऐसी याचिकाों पर सुनवाई का विरोध करते हुए कहा था कि कोर्ट ऐसे नीतिगत मामलों में फैसला नहीं ले सकती है.ऐसे केस में पिछले वक्त में जाते हुए कोई राहत देने का सवाल ही नहीं है।