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Current News / पीएम मोदी को निशाना बनाने वाली बीबीसी की सीरीज़ फेक न्यूज़ और प्रोपेगैंडा से भरी,जानिए पूरी कहानी

arth-skin-and-fitness पीएम मोदी को निशाना बनाने वाली बीबीसी की सीरीज़ फेक न्यूज़ और प्रोपेगैंडा से भरी,जानिए पूरी कहानी
दिनेश भट्ट January 21, 2023 10:11 AM IST

21 जनवरी 2022 : बीबीसी या ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन दुनिया के एक बड़े और पुराने न्यूज़ नेटवर्कों में से एक है लेकिन इसकी एक तरफा रिपोर्टिंग किसी से छिपी हुई नहीं है। अब ये एक तय एजेंडे के तहत “India: The Modi Question” नाम की एक अंग्रेजी सीरीज लेकर आया है। इसका एक भाग बीबीसी नेटवर्क के ‘बीबीसी टू’ चैनल पर प्रसारित भी हो चुका है। जिसमें भारत के प्रधानमंत्री मोदी को एक मुस्लिम विरोधी नेता के रूप में दिखाने का पूरा प्रयास किया गया है। साथ ही सोशल मीडिया पर लोग इसका जमकर विरोध भी कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेन्ट्री का विवाद बढ़ता जा रहा है। इस पर भारत के विदेश मंत्रालय ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। वहीं, ब्रिटेन में भी इस डॉक्यूमेंट्री का मुद्दा वहां की संसद में भी उठा है। गुरुवार को पाकिस्तानी मूल के सांसद द्वारा यहां मुद्दा उठाए जाने के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी प्रतिक्रिया दी।

पाकिस्तानी मूल की ब्रिटिश संसद के सदस्य इमरान हुसैन ने प्रधानमंत्री ऋषि सनक से यह दावा करते हुए कि मोदी गुजरात दंगों में शामिल थे, एक स्टैंड लेने की मांग की। “ब्रिटिश विदेश कार्यालय के अनुसार, भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात दंगों के कारण हुई हिंसा के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार थे। 

भारत समेत दुनिया भर के कई परिवार अभी भी इसका खामियाजा भुगत रहे हैं। कई को अभी तक न्याय नहीं मिला है। क्या प्रधानमंत्री (ऋषि सुनक) हमारे विदेश विभाग की इस स्थिति से सहमत हैं?” यह सवाल इमरान हुसैन ने उठाया था।

ऋषि सुनक ने सांसद को दिया जवाब

इस बीच, ऋषि सुनक ने तुरंत हुसैन के सवाल का जवाब दिया और उनकी बात का खंडन किया। “अध्यक्ष महोदय, इस संबंध में ब्रिटिश सरकार की स्थिति अपरिवर्तित बनी हुई है। वह बिल्कुल नहीं बदली है। 

बेशक, हम कहीं भी किसी भी तरह की हिंसा का समर्थन नहीं करते हैं। लेकिन मैं माननीय सदस्य इमरान हुसैन द्वारा प्रस्तुत स्थिति से असहमत हूं”, हुसैन के दावे को खारिज करते हुए और विवाद पर ब्रिटिश सरकार की स्थिति को समझाते हुए ऋषि सुनक ने कहा।

 “India: The Modi Question” सीरीज में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को एक मुस्लिम विरोधी नेता के रूप में दिखाया गया है और बीबीसी ने इसका आधार 2002 के गुजरात दंगे, सीएए-एनआरसी, अनुच्छेद 370 को निस्प्रभावी करने जैसे विषयों को बनाया है। India: The Modi Question सीरीज का पहला भाग पूर्ण रूप से गुजरात दंगों के ऊपर आधारित है जिसमें बीबीसी ने कई प्रकार के तर्कों से यह सिद्ध करने का प्रयास किया है गुजरात दंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ही कारण हुए थे। जबकि सच्चाई यह है कि गुजरात दंगे अयोध्या से लौट रहे कार सेवकों को ट्रेन में जलाने के बाद शुरू हुए थे जिसे सरकार द्वारा रोकने का भरपूर प्रयास भी किया था।

ध्यान दीजिए कि एक लंबी जांच-पड़ताल के बाद दंगों से जुड़ी रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट में गहन चर्चा भी हो चुकी है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट भी दिया है। इसके अलावा इसके दूसरे भाग में सीएए-एनआरसी और अनुच्छेद 370 पर चर्चा की जाएगी। अब यहां ध्यान देना होगा सीएए-एनआरसी पर, तो सीएए एक ऐसा बदलाव था जिसे संसद द्वारा पास किया गया था जिसमें गैर भारतीयों को नागरिकता देने को लेकर सुधार किया गया था। यदि हम एनआरसी की बात करें तो सरकार के द्वारा अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है न ही इस पर कोई चर्चा की गई है। फिर इसे मुद्दा क्यों बनाया जा रहा है।

India: The Modi Question सीरीज का तीसरा मुद्दा है अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करना। जिसमें कश्मीर में बढ़ती हिंसा को आधार बनाया गया है। जबकि बीते साल 2022 में सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में बहुत कमी आई है। उदाहरण के लिए साल 2018 में 417 आतकंवादी हमले हुए थे जबकि 2021 में इसकी संख्या घटकर 229 पर पहुंच गई। वहीं दूसरी ओर आतकियों द्वारा की जा रही हत्याओं में भी कमी आई है।

मोदी को क्यों घेरने की कोशिश कर रहा बीबीसी

बीबीसी द्वारा बनाई गई India: The Modi Question सीरीज में मुद्दे चाहे जो रखे गए हों लेकिन एक प्रश्न यह है कि बीबीसी ने इसे आखिरकार बनाया ही क्यों है। इसका उत्तर है ब्रिटेन की घटती अर्थव्यवस्था, भारत-ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड डील और 2024 में भारत में होने वाले लोकसभा चुनाव। दरअसल, मार्च 2022 में ब्लूमबर्ग द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट ने बताया था कि भारत की अर्थव्यवस्था ने ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ दिया है। ब्लूमबर्ग ने यह निष्कर्ष अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आंकड़ों के आधार पर निकाला था, जिसमें भारत की अर्थव्यवस्था 854.7 अरब डॉलर की थी जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर की थी।

वहीं दूसरी ओर लंबे समय तक भारत और ब्रिटेन फ्री ट्रेड डील पर चर्चा कर रहे हैं लेकिन वहां कुछ भारत विरोधी मानसिकता रखने वाले राजनीतिक दल नहीं चाहते कि भारत के साथ फ्री ट्रेड डील सफल हो। कुल मिलाकर भारत का ब्रिटेन से आगे बढ़ना भारत विरोधी मानसिकता रखने वालों को खल रहा है, तभी तो बीबीसी के कंधों पर रखकर बंदूक चलाने का एक प्रयास किया गया है। ताकि भारत की विश्व में नकारात्मक छवि बन जाए लेकिन उनका यह प्रयास सफल नहीं होने वाला है। इस सीरीज को लाने के पीछे एक और उद्देश्य है वो है भारत में 2024 का लोकसभा चुनाव। बीते सालों में मोदी सरकार ने जिस प्रकार पश्चिमी देशों के विरुद्ध खुलकर बोला है उसके चलते वहां की कुछ राजनीतिक पार्टीयां नहीं चाहतीं की भारत में मोदी सरकार बने।

 

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