बालाकोट : बालाकोट सर्जिकल एयर स्ट्राइक के प्लान ,साहस और बदले की रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी !
आज से ठीक एक साल पहले भारत ने ये कहकर समूचे विश्व समुदाय को चोंकाने में कोई कसर नहीं कि उसने पाकिस्तान स्थित बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर पर हमला करने के लिए पाकिस्तान में युद्धक विमान भेजे थे और बहुत बड़ी संख्या में जेएम आतंकवादियों, प्रशिक्षकों, वरिष्ठ कमांडरों और जिहादियों के समूहों को मार डाला गया। वहीं हर बार की तरह पाकिस्तान ने किसी के भी हताहत होने से साफ इनकार किया था ।
बालाकोट की सर्जिकल एयर स्ट्राइक को व्यापक रूप से जैश द्वारा पुलवामा में आत्मघाती बम विस्फोट के लिए भारत के प्रतिशोध के रूप में देखा जाता है, आत्मघाती हमले में कश्मीर में 40 अर्धसैनिक बल के जवान वीर गति को प्राप्त हुए थे।
पूर्व वायु सेना प्रमुख बीएस धनोआ ने कहा कि बालाकोट हवाई हमले के बाद पूरे भारतीय चुनावों में कोई बड़ा आतंकवादी हमला नहीं हुआ क्योंकि वे डर गए थे कि हम फिर से उसी तरीके से या उससे भी अधिक विनाशकारी तरीके से जवाब देंगे।
कैसे दिया गया मिशन को अंजाम
26 फरवरी, 2019 को लगभग सुबह 01:15 बजे ग्वालियर में वायु सेना स्टेशन के रनवे और टैक्सीवे से एक-एक करके तेजी से कई सशस्त्र मिराज 2000 लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी। वे बरेली की ओर उड़ गए और फिर जम्मू-कश्मीर की ओर बढ़ गए। सुबह लगभग 03 :45 बजे लड़ाकू विमान, जो कि पाकिस्तानी SAAB एयरबोर्न चेतावनी और नियंत्रण सिस्टम से विमान को बचाने के लिए पहाड़ों के कवर में उड़ रहे थे, 30,000 फीट पर विमान लाकर उन्होंने एलओसी पार कर लिया ।
16 विमान आगे और 4 बैकअप में उड़ रहे थे पीछे पीछे
अब अल सुबह 03:45 के आसपास 16 विमान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में घुस चुके थे और एस्कॉर्ट ड्यूटी के लिए चार अन्य विमान बैक-अप के रूप में पीछे उड़ते रहे। पांच इज़राइली निर्मित स्पाइस 2000 बम पीओके में लगभग 15 किमी की दूरी पर जाकर गिराए गए थे, जिसने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद शिविर को तहस नहस कर दिया और विमान उड़ते हुए अंत मे पश्चिमी क्षेत्र में एक हवाई क्षेत्र में वापस आ गए।
हालांकि चार मिराज विमान (मीका आरएफ और आईआर एयर-टू-एयर मिसाइलों से लैस ) जब तक पाकिस्तान सीमा में पाकिस्तान वायु सेना की नीदं उड़ाते रहे,जब तक कि अन्य 16 विमान भारतीय वायु क्षेत्र में वापस नहीं आ गए। तब तक वे विमान वही रुक कर पाकिस्तान की नाक में दम मचाते रहे। थोड़ी देर बाद पाकिस्तानी विमान जवाब देने के लिए आकाश में आ चुके थे। पाकिस्तान के लड़ाकू विमान भारतीय विमानों का पीछा करने लगे। पीओके में प्रवेश करने और वापस भारत में उतरने वाले विमान से लेकर पूरे 21 मिनट तक ये स्ट्राइक चलती रही ।
कैसे चुना गया था स्ट्राइक का ठिकाना
लक्ष्य और निष्पादन की पसंद बहुत सारी योजनाए और खुफिया जानकारी एक साथ पीएम ऑफिस तक आई थी। वहीं मोदी सरकार का मानना था कि पाकिस्तान को यह संदेश देना ज़रूरी है कि भारत पुलवामा जैसे किसी भी हमले को बर्दाश्त नहीं करेगा।
लगभग 06 बजे वायु सेना प्रमुख ने एयर मार्शल कुमार को (जो कि महत्वपूर्ण वेस्टर्न एयर कमांड के तत्कालीन एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ थे) फोन किया और पूछा कि क्या वे तैयार है ? वे दोनों जानते थे कि सरकार इस दुस्साहसिक हमले को अंजाम नहीं देगी।
बालाकोट हवाई हमले के बाद पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ते हुए, अधिकारी ने बताया कि अगली सुबह वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोआ ने संभावित विकल्पों और योजनाओं पर चर्चा करने के लिए छावनी के पास पश्चिमी वायु कमान की ओर प्रस्थान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 फरवरी को सुबह 9 बजे कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक बुलाई थी।
25 फरवरी 2019 को भारतीय वायु सेना ने निवर्तमान पश्चिमी वायु कमान प्रमुख एयर मार्शल सी हरि कुमार के लिए एक औपचारिक विदाई भोज की मेजबानी का कार्यक्रम आयोजित किया गया। तत्कालीन IAF प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ और लगभग 80 वरिष्ठ अधिकारियों ने समारोह में भाग लिया। विशिष्ट सैन्य बैठक में खाने के आयोजन को लेकर सब कुछ असामान्य लग रहा था । हालांकि, केवल कुछ शीर्ष अधिकारियों को ही पता था कि अगले कुछ घंटों में क्या होने वाला है। वायु सेना ने पाकिस्तान में एक आतंकी ठिकाने के खिलाफ पहली बार हवाई हमले करने वाला था। चूंकि उस रात धनोआ ने कुमार के साथ बात करके भारत के कुछ बेहतरीन फाइटर पायलटों को भारत के सैन्य इतिहास में एक शानदार अध्याय जोड़ने की तैयारी करने को कह दिया था।
भारत ने पुलवामा हमले की पहली वर्षगांठ के अवसर पर बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ट्रेनिंग कैंपो के खिलाफ अभूतपूर्व हवाई कार्यवाही कर इस बात को फिर से सुर्खियों में ला दिया कि भारतीय वायुसेना ने कैसे लक्ष्य चुना ? मिशन की योजना बनाई और 26 फरवरी की पूर्व-सुबह की एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया।
पुलवामा हमले के 24 घंटे के भीतर हवाई हमले करने का निर्णय ले लिया गया था।सरकार ने भारतीय वायुसेना को दो सप्ताह के भीतर आतंकी ठिकानों का चयन करने और उनके खिलाफ हवाई हमले शुरू करने के लिए कहा था। पाकिस्तान उरी आत्मघाती हमले के बाद 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक के समान प्रतिक्रिया की उम्मीद कर रहा था। लेकिन उसने ये कभी नहीं सोचा था कि भारत POK के अंदर गहरे हवाई हमलों की कार्यवाही को अंजाम दे सकता है। अगले कुछ दिनों में भारतीय वायु सेना ने 21 फरवरी को सरकार को लक्ष्य विकल्पों की एक सूची पेश करने से पहले खुफिया एजेंसियों के साथ काम किया था। लक्ष्यों की सूची में सबसे ऊपर बालाकोट के जाबा टॉप पर स्थित JeM आतंकी अड्डा था। इंटेलिजेंस ने संकेत दिया कि जाबा टॉप टारगेट पर 300 से अधिक आतंकवादी, उनके हैंडलर और समर्थक थे। भारतीय वायुसेना ने हमले शुरू करने से दो दिन पहले मिशन में भाग लेने वाले पायलटों को विस्तृत जानकारी दी। मिशन के बारे में सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक योजनाबद्ध रूप से धोखे देने का एलिमेंट था। पाकिस्तान को यह विश्वास दिलाने का प्रोग्राम था कि भारत लक्ष्य A या B को मारने के लिए जाता दिखेगा, जब की कुछ खास भारतीय लड़ाके लक्ष्य C को मारने के लिए जाएँगे।
IAF ने मध्य प्रदेश और पंजाब के ठिकानों से मिराज -2000 और सुखोई -30 सहित 20 से अधिक लड़ाकू विमानों का स्ट्राइक पैकेज लॉन्च किया। IAF की वास्तविक मंशा को पूरा करने के लिए इन लड़ाकू जेट विमानों ने तीन अलग-अलग संरचनाओं में उड़ान भरी।
सुखोई (Su-30s) से युक्त विमानो की एक टीम ने राजस्थान के बॉर्डर के आकाश में विमान उड़ाते हुए बहावलपुर जाने की नोटंकी को अंजाम दिया। ऐसा लग रहा था कि मानो JeM मुख्यालय पर हमला करने की योजना हो। इस हवाई स्ट्राइक से पाकिस्तानी वायु सेना को सरगोधा में मुशाफ हवाई अड्डे से एफ -16 लड़ाकू विमानों को उड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। पाकिस्तान का ये हवाई बेस बहावलपुर के उत्तर में लगभग 320 किलोमीटर है।
एक अन्य भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों का समूह सियालकोट और लाहौर की ओर इशारा करते हुए उड़ान भर रहा था, जिससे पाकिस्तानियों के मन में भ्रम पैदा हो गया और जब यह कुछ चल रहा था, उसी दौरान छह मिराज विमान (स्पाइस-2000 बमों से लैस) बालाकोट में लक्ष्य पर हमला करने के लिए अपने रास्ते पर निकल चुके थे।वायुसेना के मिराज विमानों ने बालाकोट में पांच इज़राइली मूल के स्पाइस 2000 बमों के साथ तीन बम धमाके कर डाले। प्रत्येक बम में 900 किलोग्राम स्टील आवरण में लगभग 80 किलो विस्फोटक रखा गया था, जिसके कारण विस्फोट में देरी से फ़्यूज़ होने से भारी मात्रा में धमाका होता था, जो तुरंत इमारतों के रहने वालों को मार देता था।
विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान ने एफ -16 को गिराकर सैन्य विमानन इतिहास रचा। उनके विमान से बाहर निकलने के बाद उन्हें पकड़ लिया गया था, लेकिन पाकिस्तान ने उन्हें लगभग 60 घंटे तक बंदी बनाए रखने के बाद 1 मार्च को वापस कर दिया। बाद में उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया।