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Current News / क्या विलय होने जा रहा गिलगित बाल्टिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर अखण्ड भारत में ?

clean-udaipur क्या विलय होने जा रहा गिलगित बाल्टिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर अखण्ड भारत में ?
दिनेश भट्ट (Twitter: @erdineshbhatt) September 03, 2023 11:05 AM IST

भारत का मानसून सत्र बीत चुका है, शीतकालीन सत्र आने वाला है, उसके बीच में ऐसी कौन सी बात होने वाली है जिसके लिए संसद का विशेष सत्र आहूत किया जा रहा है? संसद के विशेष सत्र को लेकर बहुत सारे कयास मीडिया में लगाए जा रहे हैं। उधर 9 और 10 तारीख की G20 मीटिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आने में असमर्थता दिखाई है। इससे पहले चीनी अधिकारियों ने दिल्ली पुलिस को बताया था कि चीनी राष्ट्रपति के भारत आगमन दौरे के दौरान 85 वाहन राष्ट्रपति के काफिले के लिए चीन से दिल्ली लाये जांएगे लेकिन दिल्ली पुलिस ने जवाब देकर कहा कि वह केवल 20 गाड़ियों तक अनुमति प्रदान कर सकती है। इससे चीन की चौधराहट करने की नीति को ठेस पहुंची है। 

उधर दूसरी तरफ G20 में आने वाले विदेशी मेहमान लगभग 13 या 14 तारीख तक घर लौट जाएंगे। ऐसे में उनके जाने के चार-पांच दिन बाद ही केंद्र सरकार द्वारा संसद का विशेष सत्र आयोजित करना प्रश्न पैदा कर रहा है । संसद के विशेष सत्र की घोषणा के अगले दिन ही केंद्र सरकार द्वारा पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है जो की वन नेशन वन इलेक्शन की संभावना और तकनीकी आवश्यकताओं पर अध्ययन करेगी। स्पष्ट है कि इस तरह आनन-फानन में वन नेशन वन इलेक्शन बिल नहीं लाया जा सकता है लेकिन फिर भी स्थापित मीडिया ने संसद के विशेष सत्र के बाद ही वन नेशन वन इलेक्शन की बात रखकर एक नई कहानी शुरू कर दी।

 

दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर पत्रकार और बुद्धिजीवी अनुमान लगा रहे हैं कि संसद के विशेष सत्र के दौरान भारत सरकार समान नागरिक संहिता (UCC) पर बहस कर सकती है,लेकिन ऐसा संभव नहीं है क्योंकि समान नागरिक संहिता (UCC) पर अब भी संवाद किया जा रहा है, होमवर्क किया जा रहा है।

 

POK की पृष्ठभूमि

पाक अधिकृत कश्मीर का मतलब है कश्मीर का वह हिस्सा जिस पर पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्ज़ा किया हुआ है। POK, भारत का हिस्सा है क्योंकि कश्मीर के राजा हरि सिंह और स्वर्गीय पीएम जवाहर लाल नेहरू के बीच इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेस पर समझौता हुआ था।1947 में भारत की स्वतंत्रता के समय, अंग्रेजों ने रियासतों पर अपना दावा छोड़ दिया और उन्हें भारत या पाकिस्तान में शामिल होने या स्वतंत्र रहने के विकल्पों पर निर्णय लेने की आजादी दी।

 

जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत और पाकिस्तान किसी को नहीं चुना और जम्मू और कश्मीर एक स्वतंत्र प्रभुत्व वाला देश बनाना तय किया था।1947 में जम्मू और कश्मीर राज्य में बहुत जनसांख्यिकीय विविधता थी।कश्मीर की घाटी, सबसे अधिक आबादी वाला क्षेत्र और एक ऐतिहासिक रूप से शक्तिशाली राज्य था, जिसमें अफगान-तुर्क और अरब लोगों की आबादी थी। इसलिए यहाँ की जनसंख्या 97% मुस्लिम और शेष 3% धार्मिक अल्पसंख्यक थे, जो कि ज्यादातर कश्मीरी पंडित समुदाय से थे।जम्मू संभाग के पूर्वी जिलों में एक हिंदू बहुसंख्यक आबादी सांस्कृतिक रूप से हिमाचल प्रदेश की तरफ लगाव रखती थी जबकि दूसरी ओर पश्चिमी जिलों जैसे कोटली, पुंछ और मीरपुर में मुस्लिम बहुमत था और इनका रूख पाकिस्तान की तरफ था।

1947 में पुंछ में महाराजा हरि सिंह के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया था। इस विद्रोह का कारण हरि सिंह द्वारा क्षेत्र में किसान पर दंडात्मक कर लगाना था। पाकिस्तान ने इस मौके का फायदा उठाना चाहा।अक्टूबर 21, 1947 को, उत्तरी-पश्चिमी सीमा प्रांत के कई हजार पश्तून आदिवासियों (जिन्हें पाकिस्तान की सेना का समर्थन प्राप्त था) ने इस इलाके को महाराज के शासन से मुक्त करने के लिए विद्रोह कर दिया था।महाराज के सैनिकों ने इस आक्रमण को रोकने की कोशिश की, लेकिन पाकिस्तान समर्थक विद्रोह आधुनिक हथियारों से लैस थे और उन्होंने 24 अक्टूबर 1947 को लगभग पूरे पुंछ जिले पर नियंत्रण हासिल कर लिया था।

आक्रमणकारियों ने मुजफ्फराबाद और बारामूला के शहरों पर कब्जा कर लिया और राज्य की राजधानी श्रीनगर से उत्तर-पश्चिम में बीस मील दूर तक पहुँच गए। उन्होंने इन जिलों में दुकानों को लूटना शुरू कर दिया, महिलाओं और बच्चियों के साथ बलात्कार किये गए।

बिगडती स्थिति को देखते हुए महाराजा हरी सिंह ने 24 अक्टूबर 1947 को भारत से सैन्य मदद की गुहार की और भारत ने कहा कि वह तभी मदद करेगा जब राजा उसके साथ "Instruments of Accession of Jammu & Kashmir to India" पर अपने हस्ताक्षर करेंगे।इस प्रकार महाराजा हरि सिंह ने जम्मू और कश्मीर की रक्षा के लिए शेख़ अब्दुल्ला की सहमति से जवाहर लाल नेहरु के साथ मिलकर 26 अक्टूबर 1947 को भारत के साथ जम्मू और कश्मीर के अस्थायी विलय की घोषणा कर दी और "Instruments of Accession of Jammu & Kashmir to India" पर अपने हस्ताक्षर कर दिये।

इस नये समझौते के तहत जम्मू और कश्मीर ने भारत के साथ सिर्फ तीन विषयों: रक्षा, विदेशी मामले और संचार को भारत के हवाले कर दिया था।समझौते के बाद भारतीय सैनिकों को तुरंत श्रीनगर ले जाया गया, इसके बाद पाकिस्तान की सेना खुलकर भारत के साथ लड़ने लगी। इसी लड़ाई के बीच दोनों देशों के बीच यथास्थिति बनाये रखने के लिए समझौता हो गया और जो जिले पाकिस्तान ने हथियाए थे वे उसके पास ही रह गए। इन्हीं हथियाए गए जिलों को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) कहा जाता है जिन्हें पाकिस्तान, आजाद कश्मीर कहता है।

पाकिस्तान ने प्रशासनिक सुविधा के लिए POK को दो भागों में बाँट रखा है। जिन्हें  आधिकारिक भाषाओं में जम्मू और कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान कहा जाता है। 

आज़ाद कश्मीर (Azad Kashmir), आज़ाद कश्मीर अंतरिम संविधान अधिनियम, 1974 के तहत शासित होता है. आज़ाद कश्मीर (Azad Kashmir) में एक राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और एक परिषद है, लेकिन शासी संरचना पूरी तरह से शक्तिहीन है और पाकिस्तान सरकार के अधीन काम करती है।

POK में कौन-कौन जिले हैं ?

 

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के दक्षिणी हिस्से में 8 जिले हैं: नीलम, मीरपुर, भीमबार, कोटली, मुजफ्फराबाद, बाग, रावलकोट और सुधनोटी।

POJK में बगावत के हालात

इन दिनों POJK में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए है। लोग भारत समर्थक नारे लगा रहे हैं। आम नागरिकों और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच भारी झड़प की खबर है। गिलगित -बाल्टिस्तान में विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए भारी मात्रा में पाक सेना की तैनाती स्थिति की गंभीरता को दर्शाती है। महत्वपूर्ण हैं कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगित -बाल्टिस्तान पाकिस्तान के हाथों से फिसल रहा है। POJK में पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन, ईशनिंदा कानून के खिलाफ गिलगित-बाल्टिस्तान में सड़कों पर शिया मुसलमान उतर गए है, गृहयुद्ध और भारत में विलय की चेतावनी दी जा रही है। तो क्या भारत के प्रधानमंत्री 17 सितंबर को भारत द्वारा पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में उठने वाले विद्रोह को समर्थन देने की घोषणा के साथ में पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर को भारत में विलय की घोषणा कर सकते है ? फिलहाल ये प्रश्न कइयों के दिमाग में कौंध रहा है और वर्तमान हालात ऐसा ईशारा भी कर रहे है। 

 

 

दूसरी ओर चीन-ताइवान विवाद बढ़ता ही चला जा रहा है। दिनों दिन अमेरिका अपनी सैन्य पहुंच ताइवान क्षेत्र में बढ़ाता चला जा रहा है। चीनी प्रधानमंत्री जिनपिंग ने G20 का प्रस्तावित भारत दौरा रद्द कर दिया है।उधर चीन के प्रधानमंत्री भी चीन में अस्थिरता के आंतरिक हालातो से जूझ रहे हैं।

कहां जा रहा है कि एलओसी पर तनाव के बादल कभी भी मंडरा सकते हैं और लगभग 83000 से ज्यादा सैनिक एलओसी पर तैनात किये गए हैं। वहीं दूसरी ओर भारतीय वायु सेवा नॉर्दर्न बॉर्डर पर युद्ध अभ्यास कर रही है,जिसे ऑपरेशन त्रिशूल का नाम दिया गया है। एन मौके पर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपना श्रीलंका रद्द कर दिया है। 

उधर भारत ने 18 सितंबर से लेकर 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है, जिसका विषय अभी तक घोषित नहीं किया गया है। या तो भारत के रणनीतिकार  पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर में होने वाले तनाव और बगावत से पाकिस्तनी सेना का ध्यान हटाने के लिए इस तरीके का संसद सत्र आयोजित कर रहे है या कहानी इससे बड़ी है, जिससे पाकिस्तान सेना और पाकिस्तानी हुक्मरानों को लगे कि भारत कुछ बड़ा करने वाला है और उसका ध्यान पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान में उठे बगावत के हालातो से हटकर भारत की तरफ केंद्रित हो जाए और गिलगित-बाल्टिस्तान और पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर में स्थानीय जनता को विरोध प्रदर्शन करने का ज्यादा समय मिल पाए।

गिलगित-बालटिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में जनता के विरोध प्रदर्शन के बाद वहां के नागरिक भारत में विलय होने की आवाज़ मुखर कर रहे हैं तो दूसरी ओर कारगिल का रास्ता खोलने की बात कह रहे हैं।

इसी बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 दिन पहले 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र आयोजित कर पूरे विश्व की मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। मीडिया और बुद्धिजीवी प्रयास लग रहे हैं कि क्या मोदी सरकार इन 5 दिनों में कोई विशेष कार्य योजना लेकर आई है अथवा कुछ अप्रत्याशित होने वाला है। कुछ लोग कयास लग रहे हैं कि आने वाले विशेष सत्र में समान नागरिक संहिता, महिला आरक्षण विधेयक, वन नेशन -वन इलेक्शन जैसे मुद्दे आ सकते हैं लेकिन मोदी बड़े रहस्यमई नेता है वह कब क्या कर देंगे कुछ पता नहीं।

 

लगता है कि कुछ बड़ा होने वाला है !

 

 

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