अरुणाचल प्रदेश के तवांग पर 1962 की जंग के बाद से चीन की बुरी नजरे गड़ाए गाहे बगाहे कब्जा करने की नीयत वाले असफल काम करते रहता है। हालांकि उसका तवांग के यांगत्से पर कब्जे का सपना तब से अधूरा ही चल रहा है। हालांकि चीन सीमा पर मैकमोहन रेखा को लेकर यूं तो खामोशी का लबादा ओढ़े रहता था लेकिन 1962 के बाद से वह अरुणाचल को दक्षिणी तिब्बत बताने की साजिशों को अंजाम देने लगा। चीन पिछले कुछ 20 सालों में तवांग के अलावा लद्दाख में एलएसी पर इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण को द्रुत गति से बढ़ा रहा है। हाईवे, मिलिट्री पोस्ट्स,रेल नेटवर्क हैलीपैड्स और मिसाइल लॉन्चिंग साइट्स तैयार कर लिए है। कमोबेश ऐसी स्थिती सबकुछ तवांग के करीब ही हैं। इसी को ध्यान में रखकर मोदी सरकार ने भी पिछले आठ साल में पूर्वोत्तर में सीमा पर आधारभूत अवसंरचना निर्माण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी ताकि सैन्य आवाजाही आसान हो सके और चीन के किसी भी दुस्साहस का करारा जवाब दिया जा सके। चीन सीमा पर कई इलाकों में किसी समय पर भारतीय सेना को मदद और समान पहुँचाने में 24 घंटे से ज्यादा समय लग जाता था। वही आज इन इलाकों की भारतीय सीमा में मजबूत सड़कों का जाल हैं।
वहीं यांगत्से तवांग से 35 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित है। यह जगह भारतीय सेना के लिए रणनीतिक अहमियत रखती है। यांगत्से से चीन पूरे तिब्बत पर नजर रख सकता है। साथ ही उसे एलएसी की जासूसी करने का भी मौका मिल जाएगा। दोनों देशों के लगभग साढ़े तीन हजार सैनिक इस क्षेत्र के आसपास हमेशा तैनात रहते हैं। यही नहीं ड्रोन से भी पूरे इलाके पर नजर रखी जाती है।
तवांग की घटना
8-9 दिसंबर की रात से भारत की अरुणाचल से लगती चीनी सीमा जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) भी कहा जाता है, कड़ाके की सर्दी में बहुत गर्म हो उठी थी और इस बार भारतीय सेना ने गलवान झड़प के ठीक विपरीत नई स्ट्रेटजी को इस्तेमाल कर दुश्मन को धूजने पर मजबूर कर दिया। भारतीय सेना ने जिस तरीके का जोहर तवांग के यांगत्से गांव के पास LAC पर दिखाया है,वह आने वाले दिनों में एक मिसाल के रूप में जाना जाएगा।
चीनी पोस्ट से फायर किए गए वार्निंग फायर शॉट्स
इस झड़प में सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि चीनी इलाके वाली पोस्ट से भारतीय सेना के सैनिकों की तरफ वार्निंग शॉट फायर किए गए। इसका सीधा मतलब यह था कि भारतीय सेना उनके इलाके में घुसकर उनकी पोस्ट के करीब पहुंच गई थी ऐसे में चीनी सेना ने डरते हुए यह मैसेज देने की कोशिश की कि चीनी पोस्ट की तरफ ना बढ़ा जाए।
इस बार भारतीय सेना तवांग की LAC पर किसी भी हिमाकत के लिए पहले से ही तैयार थी और भारतीय सेना की तीन यूनिट उसी इलाके में पोस्टेड थी जहां पर झड़प की घटना को अंजाम दिया गया। इस पूरी झड़प के दौरान लगभग 09 भारतीय सेना के जवान घायल हुए हैं तो वही चीन की ओर से लगभग 22 सैनिक घायल होने की खबर है। भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच आमने-सामने की लड़ाई लगभग 25 से 30 मिनट तक चली। ऐसा प्रतीत होता है कि भारतीय सेना को पहले ही इस बात का अंदेशा था कि चीनी पक्ष की ओर से कोई गलत हिमाकत तवांग से लगती एलएसी पर की जा सकती है और भारतीय सेना ने इस पूरे इलाके में अपनी इंटेलिजेंस यूनिट को सक्रिय कर रखा था। यही कारण था कि सैकड़ों की संख्या में चीनी सैनिको के एलएसी के पास आने के बाद में भी चीनी सैनिकों को उल्टे पैर भागना पड़ा क्योंकि सूत्र बताते हैं कि इस बार चीनी योजना फेल हो गई थी और चीनी सैनिकों की तुलना में यकायक भारतीय सैनिकों की संख्या ज्यादा होती चली गई थी। भारतीय सेना के जवान चीनी सैनिकों को मारते हुए LAC को क्रॉस कर चीनी पोस्ट की तरफ बढ़ने लगे तभी डर के मारे चीनी पोस्ट से वार्निंग के लिए गनफायर शॉट्स लगाए गए।
पत्थरबाजी और आपसी झड़प के साथ लाउड स्पीकरों पर धमकियां
यांगस्ते गाँव में चीन से लगती है सीमा पर जैसे ही चीनी सैनिक अपनी योजना के अनुसार भारी संख्या में भारतीय पक्ष की ओर बढ़ने की कोशिश करते नजर आए तो शुरुआत में ही भारतीय सीमा में भारतीय सैनिकों की टीम 3ने लाउडस्पीकर से चीनी सैनिकों को वार्निंग देने की कोशिश की और इसके बाद दोनों ओर से लाउडस्पीकर से तेज आवाज में धमकियां दी गई। इसके बाद चीनी सैनिकों ने जैसे ही पत्थर बाजी की शुरुआत की तो भारतीय सैनिकों ने ईंट का जवाब पत्थर से देना शुरू कर दिया। इसके साथ ही भारतीय सेना की ओर से और अधिक सैनिकों का जमावड़ा झड़प स्थल पर हो गया। पत्थर बाजी के दौरान दोनों सेनाओं के बीच वन टू वन फाइट भी हुई जिसमें 22 से ज्यादा चीनी सैनिक घायल हो गए। कई चीनी सैनिकों की हड्डियां चटका दी गयी। इसके बाद भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों को चीनी पोस्ट की ओर खदेड़ने लगे। इस बार भारतीय सेना उनकी पोस्ट (चीनी सीमा) के करीब आ गयी और डर के मारे चीनी पोस्ट से चीनी सैनिक फायर के वार्निंग शॉट्स मारने लगे। इस बार भारतीय सेना ने अपना टशन दिखाते हुए न केवल चीनी सैनिकों की जमकर पिटाई की बल्कि उनकी सीमा में घुस चीन की पोस्ट पर सैनिकों को डरा भी दिया।
तवांग में पिटाई खाने के बाद चीनी विदेश मंत्री वांग वाई बोले- भारत के साथ चीन चाहता है अच्छे रिश्ते
चीन के विदेश मंत्री वांग वाई ने कहा है कि उनका देश बेहतर द्विपक्षीय संबंधों के लिए भारत के साथ मिलकर काम करना चाहता है। दोनों देशों ने राजनयिक चैनलों के माध्यम से संचार बनाए रखा है और सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मंत्री ने आगे कहा, "चीन और भारत ने राजनयिक और मिलिट्री टू मिलिट्री चैनलों के माध्यम से संचार बनाए रखा है, दोनों देश सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
वांग जो कि चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य भी हैं, उन्होंने एक सम्मेलन में कहा, 'भारत और चीन ने सैन्य और राजनयिक माध्यमों से संपर्क बरकरार रखा है। दोनों देश सीमाई इलाकों पर शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हैं।' चीन के विदेशी संबंधों पर आधारित इस आयोजन में वांग के भाषण को विदेश मंत्रालय की तरफ से रविवार को रिलीज किया गया है।
सूत्रों की मानें तो तवांग में नौ दिसंबर को जो झड़प हुई उसके पीछे पीएलए की वेस्टर्न थियेटर कमांड का हाथ था। जो टकराव हुआ था उसमें भारतीय सैनिकों ने बहुत बुरी तरह से चीनी सैनिकों को पीटा था।