भारत-चीन संबंध सामान्य होने के बाद बड़ी प्रगति ,रूसी कच्चे तेल की खरीद का भारत ने किया यूआन में भुगतान ,डॉलर पर निर्भरता घटाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
अब कुछ रूसी कच्चे तेल की खरीद यूआन में भुगतान से भारत और चीन के संबंधों के सामान्य होने के बाद वैश्विक ऊर्जा व्यापार में एक अहम बदलाव देखने को मिल रहा है। भारत ने अब कुछ रूसी कच्चे तेल के सौदों का भुगतान चीनी मुद्रा ‘यूआन’ में करना शुरू कर दिया है, जो डॉलर पर निर्भरता घटाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, रूस से तेल सप्लाई करने वाले कई ट्रेडर्स ने भारतीय सरकारी रिफाइनरियों से इनवॉइस (बिल) का भुगतान यूआन में करने को कहा था। भारतीय ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) ने अब तक दो से तीन ऐसे लेन-देन यूआन में पूरे कर लिए हैं।हालांकि, तेल की कीमतें अभी भी अमेरिकी डॉलर में ही तय की जा रही हैं, ताकि यह यूरोपीय संघ की प्राइस-कैप नीति के दायरे में रहे, मगर वास्तविक भुगतान का माध्यम यूआन बन रहा है।
यह अंतर बहुत अहम है, क्योंकि भारत यह कदम किसी राजनीतिक संदेश के रूप में नहीं, बल्कि प्रत्यक्ष रूप से प्रतिबंधों और भुगतान विलंब की व्यावहारिक चुनौतियों को देखते हुए उठा रहा है।तीनों देशों के लिए रणनीतिक महत्वरूस के लिए: यह कदम उसे चीन से वित्तीय रूप से और जोड़ता है, जिससे “ड्रैगन-बीयर फ्रेमवर्क” और भी मजबूत होता है।
चीन के लिए: यह यूआन को वैश्विक ऊर्जा बाज़ारों में एक विश्वसनीय ट्रेड मुद्रा के रूप में स्थापित करने में मदद करता है।भारत के लिए: यह उसे रियायती रूसी तेल की निरंतर आपूर्ति बनाए रखने में मदद करता है, जबकि वह अमेरिका, रूस और चीन के बीच एक संतुलित कूटनीतिक रेखा पर चलता रहता है।यदि यह रुझान आगे बढ़ा और अधिक सौदों में यूआन में भुगतान होने लगा, तो यह वैश्विक ऊर्जा व्यापार की वित्तीय संरचना में एक ऐतिहासिक बदलाव साबित हो सकता है — जहाँ कभी डॉलर का पूर्ण वर्चस्व था, वहाँ अब चीनी मुद्रा यूआन का दायरा धीरे-धीरे बढ़ता दिखाई दे रहा है।