Breaking News

Dr Arvinder Singh Udaipur, Dr Arvinder Singh Jaipur, Dr Arvinder Singh Rajasthan, Governor Rajasthan, Arth Diagnostics, Arth Skin and Fitness, Arth Group, World Record Holder, World Record, Cosmetic Dermatologist, Clinical Cosmetology, Gold Medalist

Bollywood / Kerala Story Facts: द केरला स्टोरी मूवी के तथ्य मैच खाते हैं धर्मांतरण पर राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट से !

clean-udaipur Kerala Story Facts: द केरला स्टोरी मूवी के तथ्य मैच खाते हैं धर्मांतरण पर राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट से !
विष्णु शर्मा May 12, 2023 12:01 PM IST

Kerala Story Facts: द केरला स्टोरी मूवी के तथ्य मैच खाते हैं धर्मांतरण पर राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट से !

Kerala Story Facts: 2017 में जब केरल में धर्मांतरण के मामलों ने तूल पकड़ा था, तो राष्ट्रीय महिला आयोग ने अपनी अध्यक्षा रेखा शर्मा की अगुवाई में एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई थी। इस कमेटी में रेखा शर्मा के अलावा आयोग की सदस्य व केरल हाईकोर्ट की वकील कृष्णादास पी नायर तथा कानूनी सलाहकार के तौर पर गीता राठी सिंह भी शामिल थीं।

 

5 नवम्बर 2017 को ये टीम कोच्चि पहुंची और धर्मांतरण/लव जेहाद केस के पीड़ितों, समाजसेवी संस्थाओं, इस मुद्दे पर काम कर रहे मीडियाकर्मियों से मिलीं। पता चला कि कोच्चि में भी एक पीड़ित लड़की है तो टीम उससे भी मिली। हालांकि स्थानीय मीडिया ने आरोप लगाया कि उसके माता पिता उसके साथ अमानवीय व्यवहार कर रहे हैं, लेकिन लड़की से जब आयोग की टीम मिली, उसने इस आरोप से साफ इंकार कर दिया।

 

17 नवम्बर को टीम कोझिकोड पहुंची, जहां ऐसी कई पीड़ित लड़कियों से टीम मिली और उनकी शिकायतें सुनीं। 18 नवम्बर को महिला आयोग की टीम तिरुवनंतपुरम में उस लड़की की मां से भी मिली, जिसे केरला स्टोरी मूवी में शालिनी नाम से दिखाया गया है। अपनी रिपोर्ट में महिला आयोग ने उस समय लिखा था कि ''शालिनी (फिल्मी नाम) ने अपना एमबीबीएस पूरा कर लिया था, पढ़ाई के दौरान ही उसकी दोस्ती डॉक्टर बेक्सन (रिपोर्ट में लिखा नाम) से हुई, जो उसे तिरुवनंतपुरम के सलफी सेंटर ले गया, जहां उसका धर्मान्तरण किया गया और उसे एक नया नाम दे दिया गया, फातिमा। यही नाम अदा शर्मा के किरदार को भी धर्मांतरण के बाद मूवी में दिया गया है।

 

केरल पुलिस को पूरी जानकारी

पीड़िताओं और सामाजिक संस्थाओं से बात करते हुए कमेटी को लगा कि कुछ 'सामाजिक खलबली' भी है, सो मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए आयोग की टीम ने ये मामला केरल के डीजीपी के सामने उठाना उपयुक्त समझा। तब आयोग की टीम पुलिस हैडक्वार्टर में डीजीपी के साथ साथ कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मिली। इस मुलाकात के दौरान उन्हें जो 11 शिकायतें कई पक्षों से मिली थीं, उनको डीजीपी के हवाले कर दिया ताकि उन पर उपयुक्त एक्शन लिया जा सके।

 

राष्ट्रीय महिला आयोग की इस टीम ने संविधान की प्रस्तावना का जिक्र करते हुए अपनी रिपोर्ट कई बिंदुओं में लिखी है। अपने पहले ही बिंदु में आयोग की टीम ने साफ लिखा है कि "ये पाया गया कि केरल में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण का ट्रेंड उभरकर सामने आ रहा है। हालांकि उन्हें बताया गया है कि राज्य सरकार द्वारा हर धर्मांतरण केस का आधिकारिक रिकॉर्ड भी रखा जा रहा है।" दूसरे बिंदु में लिखा गया है कि, "अंतरजातीय विवाहों का चलन इस राज्य में कोई नया नहीं है, फिर भी धर्मांतरण का ट्रेंड हाल ही में उभर कर सामने आया है, जो प्रथमदृष्टया योजनाबद्ध और साजिशन लगता है।"

 

ये है केरल में धर्मांतरण का पैटर्न

इस रिपोर्ट में पांचवे बिंदु में थोड़ा विस्तार से इस चलन के बारे में लिखा गया है। इसके मुताबिक केरल में इन दिनों बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हो रहा है और इस धर्मांतरण के केसों में एक जैसा पैटर्न देखने में आ रहा है। पहला यह कि इन लोगों के टारगेट पर पढ़ी लिखी युवतियां हैं, खासतौर पर मेडिकल व इंजीनियरिंग में पढ़ने वालीं। दूसरा तथ्य यह कि शुरूआत में इन लड़कियों को उनके साथ की ही कुछ मुस्लिम लड़कियां अपने धर्म से परिचय करवाती हैं और धीरे धीरे उन्हें ये विश्वास दिलाती हैं कि कैसे उनका धर्म उनसे बेहतर है। इसका तीसरा पायदान ये होता कि उस लड़की को इस्लाम का साहित्य (या उपदेश) दिया जाता है, जो किताबों या सीडी आदि की शक्ल में होता है।

अगली संस्तुति में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने साफ साफ लिखा था कि, "एक जैसे तरीके से जिस तरह युवा लड़कियों का धर्मांतरण हो रहा है, उसकी जांच किसी केन्द्रीय जांच एजेंसी को ही करनी चाहिए, राज्य की एजेंसी के द्वारा नहीं।" रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि हमसे मिलने के दौरान कई व्यक्तियों और संस्थाओं ने ये भी कहा कि राज्य सरकार इस मामले में गंभीर रुख नहीं अपना रही है। कमेटी ने इन मामलों में एक अलग कोर्ट बनाने की भी बात कही, ताकि जिन परिवारों की लड़कियों को देश से बाहर ले जाया गया है, उनकी समय से मदद हो सके।

'धर्म बदलो मगर अभिभावक नहीं'

कमेटी ने सबसे उल्लेखनीय संस्तुति ये की थी कि जिस तरह से धर्म बदलवाकर शौहर के रूप में जो नया अभिभावक चुन लिया जाता है, उस पर रोक लगे। प्राकृतिक अभिभावक नहीं बदलने चाहिए। इसका सख्ती से पालन होना चाहिए। कमेटी ने ये भी कहा था कि "बहला फुसलाकर या प्यार के जाल में फंसाकर किया जाने वाला धर्मांतरण भी 'जबरन धर्मांतरण' के दायरे में लाया जाना चाहिए।"

कमेटी ने आखिरी संस्तुति में कहा कि ये धर्मांतरण ना केवल देश की सुरक्षा के लिए बल्कि सामाजिक ढांचे के लिए भी खतरा है। ऐसे में किसी सामाजिक विशेषज्ञ से इसका गहरा अध्ययन किए जाने की जरूरत है। साथ में अंतिम लाइनें ये लिखीं कि "भारत जैसे विविधतापूर्ण देश के लिए, ऐसी घटनाएं दीर्घावधि में भारत की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती हैं।"

अब असल सवाल ये है कि जब 2017 में ये फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट तैयार हुई तो जाहिर है केरल की सरकार को भेजी गई होगी। एक्शन लेने के लिए संस्तुतियां भी हैं लेकिन केरल में क्या एक्शन हुआ, इसके बारे में ज्यादा जानकारी जनता के सामने नहीं आ पाई। हालांकि केन्द्र सरकार ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन केरल सरकार ने क्या एक्शन लिया, नहीं पता चला। अब जब 'दी केरल स्टोरी' के जरिए ये मामला फिर उठा है, तो केरल सरकार और उसकी विरोधी कांग्रेस दोनों ही फिल्म के विरोध में खड़ी हो गई हैं।

  • fb-share
  • twitter-share
  • whatsapp-share
clean-udaipur

Disclaimer : All the information on this website is published in good faith and for general information purpose only. www.newsagencyindia.com does not make any warranties about the completeness, reliability and accuracy of this information. Any action you take upon the information you find on this website www.newsagencyindia.com , is strictly at your own risk
#

RELATED NEWS